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कोरोना जागरूकता को लेकर कवि कैलाश मंडेला ने सुनाया काव्य पाठ, आप भी सुनिए

कोरोना की दूसरी लहर अब धीरे-धीरे कमजोर हो रही है. इसके लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहे है. इसी बीच भीलवाड़ा के शाहपुरा के रहने वाले राष्ट्रीय कवि कैलाश मंडेला ने ईटीवी भारत पर कोरोना जागरुकता को लेकर काव्य पाठ किया. जहां कैलाश मंडेला ने कहा कि 'बहुत ही मुश्किल खड़ी है, मुसीबत सिर पर खड़ी है'.

कैलाश मंडेला का काव्य पाठ, Poet Kailash Mandela
कैलाश मंडेला का काव्य पाठ

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Published : Jul 5, 2021, 10:57 AM IST

भीलवाड़ा. विश्वव्यापी कोरोना महामारी की दूसरी लहर धीरे-धीरे खत्म हो रही है. इस संक्रमण की चेन को खत्म करने के लिए शासन और प्रशासन ने कई तरह के जागरूकता अभियान चला रखे हैं. इसी बीच जिले के शाहपुरा क्षेत्र के रहने वाले राष्ट्रीय कवि कैलाश मंडेला ने भी कोरोना जागरूकता को लेकर एक अनूठा काव्य पाठ किया. जहा मंडेला ने ईटीवी भारत क् माध्यम से कहा कि वर्तमान दौर में हम सोशल मीडिया के जरिए ही काव्य पाठ कर रहे हैं, क्योंकि भीड़ एकत्रित नहीं कर सकते हैं. ऐसे में सोशल मीडिया के जरिए ही लोगों को कोरोना जागरूकता का संदेश दे रहे हैं.

कैलाश मंडेला का काव्य पाठ

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प्रसिद्ध कोरोना जागरूकता कविता

बहुत ही मुश्किल घड़ी है, मुसीबत सिर पर खड़ी है

डर रहा है हर आदमी चुनौती इतनी बड़ी है

अब हमें सोना नहीं किसी को खोना नहीं है

मुठ्ठियों को साथ मिलकर भीचना होगा

हमें अब जीतना होगा, हमें अब जीतना होगा।।

हर तरफ ही है रुदन आहे करारी वेदना

काल अपनी क्रूरता का दे रहा है वेदना।

हम नहीं इससे डरेंगे, कदम आगे धरे गे।

जीर्ण है रथ किंतु इसको आगे खींचना होगा।

हमें अब जीतना होगा , हमें अब जीतना होगा।।

दोष नहीं दे किसी को स्वयं को देखें जरा।

किस तरह मिलकर मुसीबत को सभी देवे हरा।।

कौन क्या किसको कहेंगे जब किले सबके ढहेगे।

निज पसीने से धरा को सिचना होगा।

हमें अब जीतना होगा ,हमें अब जीतना होगा।।

सृष्टि में अनवरत निर्माण या विध्वंस होते है

जीतते आए सदा हम श्रेष्ठ मानव वंश है।

धीर को खोना नहीं, हो अभय रोना नहीं।

संकटों के गरल गट को रीतना होगा।

हमें अब जीतना होगा ,हमें अब जीतना होगा।।

नष्ट यह संसार होगा हम अगर सोए रहे।

शुतुरमुर्ग गो की तरह यदि स्वयं में खोए रहे।

हम सभी का साथ देंगे ,मुश्किलों को मात देंगे

बीच इस संकल्पों को अब बीजना होगा।

हमें अब जीतना होगा , हमें अब जीतना होगा।।

बंद दरवाजे खुलेंगे शीघ्र ही उल्लास से।

हर तरफ होगा उजाला स्वयं के विश्वास से।

मुस्कुराएगी जवानी भोर आएगी सुहानी

प्रलय के घनघोर तमको जीतना होगा।

हमें अब जीतना होगा, हमें अब जीतना होगा।।

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