भीलवाड़ा. जिले की सहाड़ा विधानसभा चुनाव में शुक्रवार को भाजपा से बागी निर्दलीय रूप से नामांकन दाखिल करने वाले लादू लाल पितलिया ने नाम वापस ले लिया है. उसके बाद भीलवाड़ा जिले के भाजपा व कांग्रेस के राजनेता अलग-अलग कयास लगा रहे हैं. भीलवाडा जिले की सहाडा विधानसभा उपचुनाव में वर्ष 2018 में 33573 मतदाताओं का मत हासिल करने वाले निर्दलीय उम्मीदवार लादू लाल पितलिया इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं, यह सवाल अब सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गली चौराहों पर होने वाली बातचीत में खास हो गया है. वैसे तो भाजपा और कांग्रेस दोनों पितलिया के नाम वापस लेने को अपना-अपना लाभ बता रहे हैं. जहां भाजपा व कांग्रेस के राजनेता अब भीलवाड़ा जिले की सहाडा विधानसभा उपचुनाव की राजनीतिक गणित लगाने में जुट गए हैं.
वहीं, भीलवाड़ा जिले की सहाडा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे रामपाल उपाध्याय को वहां की जनता ने जीताकर 3 बार न केवल विधानसभा, बल्कि हरदेव जोशी और शिवचरण माथुर मंत्री मंडल में जगह दिलाई. सहाड़ा विधानसभा शुरू से ही राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही है. साल 1952 से लेकर 2018 तक हुए 14 विधानसभा चुनावों में से कांग्रेस यहां से 9 बार सफल रही है. मगर इस बार 2 लाख 47 हजार 4 सौ मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षैत्र में मात्र 10 हजार से कम वैश्य यानी जैन मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में वैश्य वर्ग के भाजपा के बागी निर्दलीय लादूलाल पितलिया इतने महत्वपूर्ण हो गये थे कि जहां कांग्रेस उन्हें चुनाव लड़ने के लिए आतूर थी, तो भाजपा ने साम, दाम, दंड और भेद की निती अपनाते हुए पितलिया को चुनावी मैदान से बाहर करने में कामयाबी हासिल कर ली. जहां भाजपा के प्रदेश महामंत्री और सहाडा विधानसभा चुनाव प्रभारी श्रवण सिंह बगडी अपनी इस कामयाबी को पितलिया की भाजपा के प्रति निष्ठा बताते हुए नहीं थकते है.