भरतपुर. राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान माता-पिता से बेटियों को खेलों में आगे बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा कि बेटियां कबड्डी के मैदान में ही नहीं, बल्कि जिंदगी के मैदान में भी अच्छा संतुलन बनाएंगी. इसलिए प्रदेश और देश के हर माता-पिता अपने बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने के लिए उनका साथ दें.
जिंदगी में भी संतुलन बना कर चलती हैं बेटियां...
प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने कहा कि सभी माता-पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए. कबड्डी खेल एक मेल और संतुलन का खेल है. जिस तरह से बेटियां कबड्डी के मैदान में संतुलन बनाकर रखती हैं, उसी तरह से शादी के बाद दो परिवारों के बीच भी बराबर संतुलन बनाकर रखती हैं. इसलिए माता-पिता को अपनी बेटियों को खेल के मैदान में आगे बढ़ाना चाहिए.
परिजनों को चोट लगने की चिंता थी...
DySP शालिनी पाठक ने बताया कि मूलतः कबड्डी हिंदुस्तान में मिट्टी और गांव का खेल है. जब उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि वह अपना कैरियर कबड्डी खेल में बनाना चाहती हैं, तो उनके परिजनों ने थोड़ी सी चिंता जाहिर की. क्योंकि कबड्डी खेल में घुटने और कोहनी की चोट की आशंका बनी रहती है. इसलिए शुरुआत में परिजनों का मानना था कि वो कबड्डी की बजाय कोई ऐसा खेल चुनें जिसमें चोट लगने की आशंका ना हो. लेकिन शालिनी पाठक के पिता खुद एक राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी रह चुके हैं और भाई भी राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता बॉक्सर रह चुके हैं. इसलिए बाद में सभी परिजन कबड्डी को लेकर सहमत हो गए.
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आजकल कबड्डी सेफ गेम...