अलवर. हर साल 3 जून को अंतर्राष्ट्रीय विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. कोरोना काल में साइकिल की डिमांड कई गुना बढ़ गई. शोध कहते हैं कि साइकिल इम्यूनिटी पावर भी बढ़ाती है. इसलिए अब तेजी से साइकिल का दौर लौटने लगा है. कई पश्चिमी देशों में तो कॉर्पोरेट कंपनी और सरकार के मंत्री तक साइकिल चलाते नजर आए हैं.
भारत में साइकिल का स्थान कुछ अलहदा रहा है. यहां यह एक शौक से ज्यादा जरूरत रही है. वाहन के तौर पर इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है. स्कूल, कॉलेज और कार्यस्थल तक जाने के लिए साइकिल पसंदीदा सवारी रही है. कोरोना काल में साइकिल की डिमांड बढ़ी है. साइकिल डे के जरिये दुनिया को यही संदेश दिया जा रहा है कि आम जीवन में साइकिल के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए. कम दूरी तय करने के लिए साइकिल का इस्तेमाल किया जाए. इससे ईंधन की अतिरिक्त होने वाली खपत बचेगी. प्रदूषण का स्तर कम होगा.
कोरोना काल में तो साइकिल और भी ज्यादा उपयोगी साबित हुई है. इससे ईंधन और धन तो बचता ही है, यह शरीर की ऊर्जा और क्षमता को भी बढ़ाती है. इसके साथ ही ईको फ्रैंडली भी है.
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साइकिल से शरीर की पावर बढ़ती है
तमाम अध्ययनों के मुताबिक रोजाना साइकिल चलाने से रक्त संचार तेजी से होता है. इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. साथ ही दिमाग में हेल्प हार्मोंस बनने लगते हैं. इससे तनाव दूर होता है. साइकिलिंग करते समय सामान्य व्यक्ति की तुलना में साइकिल-सवार गहरी सांस लेता है. इससे शरीर ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ग्रहण करता है. फेफड़ों में तेजी से हवा अंदर बाहर होती है. फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और मजबूती आती है. साइकिल चलाने से पैरों की भी अच्छी कसरत होती है. इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं. साइकिलिंग किसी भी मामले में पुश अप्स से कम एक्सरसाइज नहीं है.
इम्यूनिटी बढ़ाती है साइकिल कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि नियमित रूप से साइकिलिंग करने से कैलोरी बर्न होती है और फैट कम होता है. इससे वजन नहीं बढ़ता. साइकिल चलाने से रक्त संचार तेजी से होने के कारण हृदय भी ठीक रहता है. रक्त कोशिकाएं और त्वचा में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा पहुंचती है और मस्तिष्क में नई कोशिकाएं बनती हैं.
साइकिल के सफर का अपना मजा है साइकिल दिवस की शुरुआत
संयुक्त राष्ट्र ने 3 जून 2018 को विश्व साइकिल दिवस की पहल की थी. यह दिवस साफ और सेहतमंद पर्यावरण के लिए दुनियाभर में ईको फ्रेंडली साधनों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाने लगा. इससे देशों को कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायता मिलेगी.