अलवर : वैसे तो कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है. लोगों के काम-धंधे ठप हो गए हैं तो वहीं युवाओं की नौकरियां खतरे में है. ऐसे में हमेशा मरीजों से गुलजार रहने वाले अस्पताल भी इन दिनों खाली-खाली नजर आने लगे हैं. लोगों की लाइफ स्टाइल से लेकर सभी तरह के बदलाव कोरोना के बाद देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में अब अस्पताल में होने वाला इलाज भी महंगा होने लगा है. इसका भार मरीज और अस्पताल दोनों पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है. हालांकि, छोटे शहरों में प्रशासन की तरफ से निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज और जांच की सुविधा नहीं दी गई है.
रहन-सहन के तरीके में हो रहा बदलाव...
कोरोना ने लोगों के रहन-सहन और सामाजिक तौर-तरीकों में बदलाव ला दिया है. लोग अब सोशल डिस्टेंसिंग बनाते हुए एक-दूसरे से दूर रह रहे हैं. अलवर की बात करें तो जिले में केवल सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज और जांच की सुविधा है. ऐसे में अगर निजी अस्पताल संचालक को किसी मरीज में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं, तो वो उसे सरकारी अस्पताल के लिए रेफर करते हैं. लेकिन फिर भी निजी अस्पताल प्रशासन द्वारा पूरी सावधानी बरतते हुए अन्य बीमारियों के मरीजों को जरूरी चीजें काम में लेने के लिए कहा जा रहा है.
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इन चीजों का बढ़ रहा खर्च...
हालांकि, अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ और डॉक्टरों का खर्चा अस्पताल प्रशासन वहन करता है. जबकि मरीज के लिए पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर और अन्य जरूरी सामान का खर्चा मरीज व उसके परिजनों को करना पड़ता है. स्वास्थ्य बीमा में कोविड को शामिल कर लिया गया है. जिन लोगों ने पहले से स्वास्थ्य बीमा करवा रखा है, उनकी पॉलिसी में अपने आप ही कोविड शामिल हो चुकी है. जबकि जिन लोगों ने नई पॉलिसी कराई है उनकी पॉलिसी में 15 दिन बाद मरीज कोविड का इलाज करा सकता है. वहीं, उसके लिए मरीज की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव होना जरूरी है. कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर ही मरीज को मेडिकल क्लेम का पैसा मिलता है. अगर मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तो उसे मेडिकल पॉलिसी का लाभ नहीं मिलेगा.