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CPI राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने RSS और पीएम मोदी के खिलाफ कहे अपशब्द

अलवर में एनआरसी और सीएए के विरोध में चल रहे कार्यक्रम में पहुंचे सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्द कहे. उन्होंने कहा कि सीएए केंद्र सरकार की राजनीतिक चाल है और मोदी सरकार देश को बांटने का काम कर रही हैं.

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राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कहे अपशब्द

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Published : Feb 16, 2020, 1:04 PM IST

अलवर.जिले में रविवार को एनआरसी और सीएए के विरोध में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. जिसमें भाग लेने के लिए सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान अलवर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि आर्थिक परिस्थिति, महंगाई, गरीबी, देश में आर्थिक तबाही की स्थिति, बेरोजगारी और रिजर्व बैंक से निकाली राशि देश की संपदा बेचने जैसी समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सीएए और एनआरसी देश के सामने लाया गया है, यह केंद्र सरकार की राजनीतिक चाल है.

राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कहे अपशब्द

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के खिलाफ अपशब्द कहे. उन्होंने कहा कि आरएसएस हर साल पथ संचलन निकालता है, लेकिन आज तक उनके पास अपना गाना तक नहीं है. पथ संचलन के दौरान बैंड पर जो गाना बजता है वो एक कम्युनिस्ट ने लिखा है. उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाते हुए उनपर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आरएसएस वाले पहले हाफ पेंट पहनते थे, वो अब फुल पेंट पर आ गए हैं.

अतुल अंजान ने कहा कि वर्ष 2022 में भारत के पास विदेशों के लिए कर्ज की पहली किस्त चुकाने लायक नहीं है. उन्होंने सीएए और एनपीआर आंदोलन से देश को नुकसान की बात कही. उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री अमित शाह आंदोलनकारियों से चर्चा को लेकर तैयार होने की बात कह रहे है, लेकिन जब संसद में नागरिकता संशोधन कानून पास कराया था, उससे पहले चर्चा नहीं की गई.

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उन्होंने कहा कि गृह मंत्री से तभी बात हो सकती है, जब सरकार पहले नागरिकता संशोधन कानून को वापस लें और इसमें संशोधन को तैयार हो. उन्होंने कहा कि सरकार पुराने वाले एनपीआर को लेकर आती है, तो किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन नई शर्तों के साथ एनपीआर कराने पर आपत्ति है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सीएए के पक्ष में आने की स्थिति में आगामी रणनीति को लेकर उन्होंने कहा कि परिस्थितियां खुद रास्ता बना लेती है, वैसे न्यायपालिका को ऐसा न्याय देना चाहिए जो न्याय संगत हो.

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