अलवर. प्रदेश के प्रत्येक जिले में लव कुश वाटिका तैयार की जा रही है. इस लव कुश वाटिका (Luv kush Garden to develop in Alwar) में इको टूरिज्म के तहत फल और फूलदार पौधे लगाए जाएंगे. घना जंगल तैयार किया जाएगा. साइन बोर्ड, वॉच टावर रेस्ट एरिया और बच्चों के खेलने के लिए अलग से गार्डन तैयार किया जाएगा. अलवर में लव कुश वाटिका के लिए चुहड़सिद्ध की पहाड़ी को चिह्नित किया गया है. 1 जुलाई से इसपर काम शुरू कर दिया जाएगा.
वन विभाग की तरफ से 70 हेक्टेयर में फैली इस पहाड़ी को लव कुश वाटिका के रूप में डेवलप किया जाएगा. इस पहाड़ी पर एक मंदिर है. साथ ही ये पूरी पहाड़ी पलाश के फूलों से लदी हुई है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक जुलाई से इस पूरे एरिया को डेवलप करने का काम शुरू होगा. इसके साथ ही पूरी वाटिका को प्लास्टिक फ्री बनाया जाएगा. 14 नवंबर तक पूरे क्षेत्र को इको टूरिज्म के तहत तैयार किया जाएगा. 14 नवंबर यानी बाल दिवस के दिन आम लोगों के लिए इसको खोल दिया जाएगा. इस वाटिका में लोग अपने परिवार के साथ सैर सपाटा कर सकेंगे. इसमें युवाओं के घूमने के लिए अलग ट्रैक रहेगा. साथ ही बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क तैयार किया जाएगा.
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वन विभाग के डीएफओ एके श्रीवास्तव ने बताया कि इस पूरे क्षेत्र में फल और फूलदार पौधे और पेड़ लगाए जाएंगे, ईकोट्रैक तैयार किया जाएगा. इस पर पत्थर बिछाए जाएंगे ताकि लोग इस ट्रैक पर घूम सकें. पहाड़ी क्षेत्र में पेड़-पौधे लगाकर घना जंगल तैयार किया जाएगा. जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए जाएंगे. वॉच टावर बनाए जाएंगे. लोगों के बैठने के लिए रेस्ट एरिया तैयार किया जाएगा.
बच्चों के लिए अलग से चिल्ड्रन पार्क तैयार होगा. इसके अलावा आगामी दिनों में टेंट और कैंपिंग की भी व्यवस्था की जाएगी. इसका प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यहां प्रकृति से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करते हुए पहाड़ी क्षेत्र को नेचुरल तरह से विकसित करने का काम किया जाएगा.
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सरकार ने दिखाई हरी झंडी:सरकार की तरफ से वन विभाग को लव कुश वाटिका तैयार करने के निर्देश मिल चुके हैं. सभी जगहों पर काम शुरू हो रहा है. केंद्र सरकार भी इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बना रही है. बीते दिनों अलवर पहुंचे वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया था कि केंद्र सरकार की जल्द ही इको टूरिज्म योजना आने वाली है. अलवर में घना जंगल क्षेत्र है और अरावली की वादियों से अलवर की खूबसूरती बढ़ती है. इसलिए यहां इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. जिन पर वन विभाग काम कर रहा है.