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नए कृषि कानून पूंजीपतियों के पक्ष में...मोदी सरकार को लेना होगा वापस : मोहन प्रकाश

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहन प्रकाश बुधवार को अलवर पहुंचे, जहां सर्किट हाउस में कांग्रेस नेताओं ने उनका स्वागत किया. इसके बाद एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कृषि कानून नहीं कॉरपोरेट कानून लेकर आई है. उन्होंने कहा कि नए कानून से बेरोजगारी व महंगाई बढ़ेगी. किसान को इस कानून की आवश्यकता नहीं है. किसान पर जबरदस्ती यह बिल थोपा जा रहा है. सरकार को यह तीनों कानून वापस लेने होंगे, क्योंकि यह किसान के हित में नहीं हैं.

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नए कृषि कानून पूंजीपतियों के पक्ष में

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Published : Jan 13, 2021, 9:02 PM IST

अलवर. केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में अलवर सहित पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है. किसान सड़क पर बैठे हुए हैं व सरकार अपनी बात पर अड़ी हुई है. कांग्रेस की तरफ से भी लगातार किसानों का समर्थन करते हुए इस कानून का पुरजोर विरोध किया जा रहा है. आगामी 15 जनवरी को सभी प्रदेश में राजधानी मुख्यालय पर राज्य भवन को घेरने का काम किया जाएगा. अलवर पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय महासचिव मोहन प्रकाश ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह सरकार किसान विरोधी कानून व पूंजीपतियों के पक्ष का कानून लेकर आई है.

कांग्रेस का मोदी सरकार पर हमला...

इन नए कानून से किसान को कोई फायदा नहीं होगा. सरकार लगातार लोगों को गुमराह कर रही है. नए कानून में कई कमियां है, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी। मंडिया समाप्त होंगी. फसलों की सरकारी खरीद पूरी तरह से बंद हो जाएगी, साथ ही देश विदेश के कुछ पूंजीपति व बड़े घरानों के हाथ में पूरा देश रहेगा. मोहन प्रकाश ने तीनों कृषि कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इन कानूनों में दाल, तिलहन आलू, प्याज को बाहर कर दिया है. इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा. ऐसे में साफ है कि इनकी जमकर जमाखोरी होगी.

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उन्होंने कहा कि जिस तरह से जिओ (JIO) के आने के बाद बीएसएनल (BSNL) के हालात हैं, उसी तरह से देश में मंडियों के हालात नए कानून के बाद रहेंगे. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की झूठी बातों से लोग थक चुके हैं. सबसे पहले उन्होंने नोटबंदी की, जिसमें देश को गुमराह करते हुए अमीरों का पैसा बाहर लाने की बात कही थी, लेकिन उसका कोई प्रभाव नजर नहीं आया. उसके बाद जीएसटी लागू करते हुए देश में बेहतर व्यापार के दावे किए, लेकिन देश का व्यापार पूरी तरह से समाप्त हो गया. मध्यम क्लास वर्ग बेरोजगार हो गया, काम-धंधा पूरी तरह से ठप हो गया तो वहीं कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार ने दीपक जलवाए, मोमबत्ती जलवा कर लोगों से तालियां बजवाई, लेकिन उसके बाद भी कोरोना का प्रभाव कम नहीं हुआ. हजारों, लाखों लोग बेरोजगार हो गए, अब मोदी सरकार किसानों के हित की बात कह रही है. लेकिन यह पहली बार देखने को मिला है कि देश के किसान सड़क पर हैं.

देश के अन्नदाता के साथ खिलवाड़ हो रहा है, उसका मजाक बन रहा है, चाय बेचने वाले का बेटा हजारों लाखों का सूट पहनता है तो उस पर किसी का ध्यान नहीं है, लेकिन एक किसान का बेटा अगर 500 से 600 रुपए की जींस पहनता है तो भाजपा के लोग कहते हैं कि यह किसान नहीं है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने तोड़-मरोड़ कर नए कृषि कानून पेश किए हैं. यह कानून पूरी तरह से कॉरपोरेट हाउसों के पक्ष में हैं. पहले भी सरकार द्वारा कई नए फैसले लिए गए, लेकिन उनको भी सरकार को वापस लेना पड़ा. यह कानून भी सरकार को वापस लेना होगा.

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