राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

सरकार की नीतियों के विरोध में कृषि उपज मंडी बंद, करोड़ों का व्यापार हो रहा प्रभावित

राजस्थान खाद्य व्यापार संघ के आह्वान पर अलवर की मंडी का लगातार 2 दिनों से बंद है. वहीं गुरुवार को तीसरे दिन भी सभी मंडियां बंद रहीं. मंडिया बंद होने के कारण करोड़ों रुपये का व्यापार प्रभावित हो रहा है.

opposition to market tax, Agricultural produce market closed
सरकार की नीतियों के विरोध में कृषि उपज मंडी बंद

By

Published : Aug 27, 2020, 4:36 PM IST

अलवर.मंडी टैक्स व कृषक कल्याण फीस समाप्त करने की मांग को लेकर प्रदेशभर की मंडियां बंद हैं. गुरुवार को तीसरे दिन भी मंडियों में कामकाज ठप रहा. केडलगंज व्यापार संचालन समिति की तरफ से प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली को ज्ञापन दिया गया. मंडी में हड़ताल के कारण लोगों की हलचल नहीं हुई. मुख्य गेट पर व अंदर की तरफ कुछ दुकानें खुली हुई दिखाई दी.

सरकार की नीतियों के विरोध में कृषि उपज मंडी बंद

वैसे आमतौर पर ट्रैक्टर-ट्रॉली की आवाजाही रहती है, लेकिन बंद के कारण मंडी में 3 दिनों से सन्नाटा पसरा हुआ है. पहले कोविड की गाइडलाइन की पालना करते हुए पल्लेदार फड़ जींस तौलते और कट्टे भरते हुए नजर आते थे. केडलगंज व्यापार समिति की तरफ से श्रम मंत्री को व्यापारी व किसानों की समस्याओं से अवगत कराया गया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 5 जून 2020 को एक अध्यादेश जारी कर किसानों की उपज से सभी प्रकार के टैक्स समाप्त करने की घोषणा की थी, लेकिन कृषि उपज मंडी और राज्य सरकारों के अधीन इस फैसले को छोड़ा था.

पढ़ें-भीलवाड़ाः सरकारी अध्यादेश के विरोध में कृषि उपज मंडी में हड़ताल जारी, करोड़ों का हो रहा नुकसान

उन्होंने कहा कि वर्तमान में कृषि उपज मंडी में मंडी कृषक कल्याण फीस लागू है. खरीददार और मंडियों में खरीदने का टैक्स अदा करना पड़ता है. जिससे खरीदार मंडियों से मुंह मोड़ लेते हैं. ऐसे में किसान का माल बेहतर दामों में नहीं बिकता है. मंडियों में फसलों की आवक नहीं होने के कारण व्यापारी, मजदूर, मुनीम व दलाल आदि बेरोजगार हो रहे हैं. सरकार को किसी प्रकार का टैक्स नहीं लेना चाहिए. नया अध्यादेश केंद्र व राज्य सरकार के एक दूसरे के विपरीत होने के कारण इसका नुकसान मंडी व्यापारी व किसानों को उठाना पड़ रहा है.

राजस्थान में 2.60 पैसे मंडी टैक्स एवं कृषक कल्याण फीस है, जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से गुजरात में मंडी शुल्क की दर 25 पैसे से लेकर एक रुपये तक है. किसी प्रकार का कोई विकास शुल्क व अन्य शुल्क नहीं लगता है. इस कारण यहां के किसान अपना माल पड़ोसी राज्य में जाकर नहीं बेचते हैं, जिससे राज्य सरकार को जीएसटी पर मंडी शुल्क का नुकसान होगा. इसलिए मंडी टैक्स व कृषक कल्याण फीस को समाप्त किया जाए.

पढ़ें-अजमेर में NSUI का प्रदर्शन, फीस माफी और छात्रों को प्रमोट करने की उठाई मांग

वहीं लगातार श्रम मंत्री टीकाराम जूली ने कृषि उपज मंडी स्थित मंडी समिति कार्यालय में पहुंचकर अधिकारियों की एक बैठक ली. इस मौके पर फल-सब्जी मंडी में कृषि उपज मंडी के व्यापारियों ने अपनी समस्या रखी. व्यापारियों ने कहा कि वो टैक्स देने को तैयार हैं, लेकिन उनकी मंडी में शौचालय तक नहीं है. यहां आने वाले किसानों को व्यापारियों को कोई सुविधा नहीं मिलती है. ऐसे में लोग इधर-उधर धक्के खाते हैं, परेशान होते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details