अजमेर.राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के विखंडन का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. विपक्षी दल भाजपा ही नहीं सत्तासीन कांग्रेस के नेता भी बोर्ड के विखंडन का विरोध कर रहे हैं. बोर्ड के मंत्रालयिक कर्मचारी तक विखंडन के मुद्दे पर बोर्ड के निर्णय का विरोध कर रहे हैं.
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, आरपीएससी, आयुर्वेद निदेशालय, रेलवे भर्ती बोर्ड, टैक्स बोर्ड, रेवेन्यू बोर्ड सहित कई विभाग अजमेर के अस्तित्व से जुड़े हैं. दरअसल राजस्थान में विलय होने से पहले अजमेर एक अलग स्टेट था. अजमेर ने विलय के लिए राजधानी बनाने की शर्त रखी थी. तब राव कमीशन ने सशर्त समझौता किया और राजधानी बनाने की बजाय अजमेर के सम्मान को कायम रखते हुए यह मुख्य विभाग अजमेर को दिए थे. इन विभागों की बदौलत ही प्रदेश में अजमेर का अपना महत्व है. राज्य सरकारों ने रेवेन्यू बोर्ड, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के विखंडन के प्रयास किए, लेकिन विरोध के चलते यह कोशिशें नाकाम रही.
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इस बार राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की संभागीय स्तरीय कार्यालय खोलने की मंशा है. बीकानेर में ढाई हजार वर्ग गज जमीन प्रशासन से निशुल्क बोर्ड ने मांगी है. जिससे बोर्ड के विखंडन का मुद्दा फिर से तूल पकड़ चुका है. इससे पहले 2003 में भी बोर्ड के विखंडन का मुद्दा उठा था. लेकिन विरोध के बाद विखंडन का मामला थम गया.
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कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि बोर्ड के विखंडन का मुद्दा अजमेर की अस्मिता और अस्तित्व से जुड़ा हुआ है. विखंडन को अजमेर की जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. जैन ने कहा कि 2003 में भी भाजपा सरकार में बोर्ड के विखंडन का विरोध हुआ था.
RBSE के विखंडन का मामला पकड़ने लगा तूल, सांसद भगीरथ चौधरी ने साधा निशाना... उन्होंने बताया कि सीएम को पत्र लिखकर बोर्ड के विखंडन को रोकने की मांग की जाएगी. इधर बोर्ड के मंत्रालयिक कर्मचारी भी बोर्ड के निर्णय के खिलाफ (RBSE employees protest against Bikaner office) हो चुके हैं. कर्मचारियों ने विखंडन के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है. बोर्ड की ओर से विखंडन को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली के अस्वस्थ होने के कारण बोर्ड के मंत्रालयिक कर्मचारी भी विखंडन के विषय पर उनसे बातचीत नहीं कर पाए हैं.
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का विखंडन या विभाजन का कोई भी निर्णय स्वीकार नहीं : सांसद भागीरथ चौधरी
वहीं, डीपी जारोली के खिलाफ सांसद भागीरथ चौधरी ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है. चौधरी ने सीएम और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. चौधरी ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को मजबूत करने के बजाय उसका विखण्डन करना माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की गरिमा और गौरव के साथ खिलवाड़ है, जो किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है.
अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने कहा कि वर्तमान सूचना प्रोद्योगिकी के दौर में जहां माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अधिकांश सुविधाएं ऑनलाइन है. परीक्षा फॉर्म से लेकर संबद्धता, बोर्ड के प्रलेख जारी करना सभी ऑनलाइन होने से सम्पूर्ण राजस्थान के लोग लाभांवित हो रहे हैं. इसके अतिरिक्त यदि किसी को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालय में व्यक्तिगत आना भी हो तो बोर्ड के राजस्थान के केन्द्र में होने से सभी के लिए पहुंच सुगम है. ऐसे में तुष्टिकरण की राजनीति के तहत बोर्ड राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की जो साख बनी हुई है उसे कमजोर कर उसका विखण्डन करने का कोई भी प्रयास स्वीकार्य नहीं होगा.
कल्ला पर साधा निशाना
शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा था कि परीक्षा के दिनों में उत्तर पुस्तिकाओं का वितरण विखण्डन हो रहे कार्यालय से हो सकेगा. जब कि वस्तुस्थिति यह है कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से उत्तर पुस्तिकाओं के संग्रहण एवं वितरण के लिए एक सुदृढ संरचना है जो कि प्रत्येक जिला स्तर पर संग्रहण एवं वितरण केन्द्र के रूप में निरन्तर कार्य कर रही है. ऐसे में विखण्डन से न केवल सरकार पर अनावश्यक भार पड़ेगा बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान का सबसे दुखदायी निर्णय होगा. सरकार को चाहिए कि विखण्डन के बजाय राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के वर्तमान कार्यालय की सुविधाओं को बढाएं और पब्लिक डिलीवरी में कमी को चिन्हित कर राज्य की जनता को डीजिटल सुविधाएं प्रदान करें.