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RAS- 2018 टॉप करने वाली मुक्ता राव को इंटरव्यू में मिले 77 अंक...तो फिर 47.4% लाने वाले डोटासरा के रिश्तेदारों को कैसे मिले 80-80 नंबर? - मुक्ता राव

RAS इंटरव्यू विवाद मामले में अब विपक्ष, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर हमलावर है. विपक्ष ये आरोप लगा रहा है कि डोटासरा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाया है. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि परीक्षा टॉप करने वाली मुक्ता राव के साक्षात्कार में 77 अंक ही मिले हैं, तो फिर डोटासरा के रिश्तेदारों को 80-80 अंक कैसे मिले, जबकि उनके लिखित परीक्षा में 47.4 फीसदी ही नंबर मिले हैं.

गोविंद सिंह डोटासरा, RAS Exam- 2018 Interview Controversy
गोविंद सिंह डोटासरा

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Published : Jul 23, 2021, 6:01 PM IST

अजमेर. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. डोटासरा की पुत्र वधू के भाई और बहन के RAS- 2018 के साक्षात्कार में एक समान अंक आने के विवाद में घिरे हुए हैं. इसके साथ ही अब उनकी पुत्र वधू और उनके भाई-बहन के ओबीसी प्रमाण पत्र को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.

शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बाद अब उनके समधी रमेश चंद पूनिया पर भी सवाल उठ रहे हैं. समधी रमेश चंद पूनिया चूरू जिले के जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. प्रतिभा पूनिया का आरएएस 2016 में चयन हुआ था, उनके भाई गौरव और प्रभा का भी आरएसएस 2018 मे चयन हुआ है. खास बात यह है कि तीनों के आयोग में हुए साक्षात्कार में 80-80 फीसदी अंक हैं. RPSC रिश्वत कांड के खुलासे के बाद RAS- 2018 के हुए साक्षात्कार संदेह के घेरे में आ चुके हैं.

प्रभा और गौरव के अंकपत्र

बता दें, RAS- 2018 की प्रथम टॉपर मुक्ता राव को साक्षाकार में 77 अंक मिले हैं, जबकी गौरव और प्रभा को 80 अंक मिले हैं. आरपीएससी रिश्वत कांड में आयोग सदस्य राजकुमारी गुर्जर के पति भैरु सिंह गुर्जर रडार पर हैं. आयोग का जूनियर अकाउंटेंट राजन सिंह गुर्जर और नरेंद्र पोसवाल को एसीबी परिवादी से 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. मामले में एसीबी गहनता से जांच कर रही है. जांच में कई नए खुलासे होने की उम्मीद की जा रही है.

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इधर, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के समधी रमेश चंद पूनिया पर अपने तीनों संतानों का ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. जिला शिक्षा अधिकारी के पद स्थापित होने से पहले राजेश पूनिया ने 1983 में हेड मास्टर पद पर जॉइनिंग ली थी. हेड मास्टर का पद प्रथम ग्रेड अधिकारी का होता है. सरकारी अधिकारी होने की वजह से वह क्रीमीलेयर में हैं. ऐसे उनकी संतानों का ओबीसी प्रमाण पत्र बनना सम्भव नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी तीनों संतानों के प्रमाण पत्र ओबीसी के बनवाए हैं. वहीं, ओबीसी आरक्षण का लाभ भी उनकी संतानों ने आरएएस भर्ती परीक्षा में लिया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

OBC का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ईमित्र के माध्यम से तहसील में आवेदन करना होता है. 7वीं नियमावली के प्रति और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और दो सक्षम अधिकारियों के प्रमाण पत्र भी आवेदन के साथ लगाए जाते हैं. अगर आवेदक के पिता कि आय नियमों के मुताबिक अधिक है या वह राजपत्रित अधिकारी है ऐसे में आवेदक का ओबीसी प्रमाण पत्र का आवेदन खारिज हो सकता है.

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आवेदन के साथ अगर गलत दस्तावेज और भ्रामक जानकारी दी जाती है, तो आवेदक के खिलाफ 420, 409, 406, 467, 468, 471 और 120 बी आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो सकता है. बावजूद इसके अगर भ्रामक जानकारी और गलत दस्तावेज के आधार पर कोई ओबीसी प्रमाण पत्र हासिल कर उससे नौकरी प्राप्त करता है तो संबंधित संस्था आवेदक के खिलाफ इन्हीं धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा सकती है.

RPSC को नहीं मिली शिकायत

हालांकि, प्रतिभा पूनिया, गौरव और प्रभा के ओबीसी प्रमाण पत्र को लेकर आरपीएससी को अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, लिहाजा आयोग ने अभी तक मामले में कोई सज्ञान नहीं लिया है.

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