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'शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति' के तहत निजी शिक्षक और स्कूल संचालकों ने सरकार से की ये मांग

स्कूल फीस माफी को लेकर जहां अभिभावक 'नो स्कूल नो फीस' को लेकर आंदोलन छेड़े हुए हैं. वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों के संचालकों के पांच संगठन एक जाजम पर आ गए हैं. सभी संगठनों ने फीस लेने सहित 6 मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए 'शिक्षा बचाओ संघर्ष समिति' बनाई है. समिति के पदाधिकारियों ने अजमेर में प्रेसवार्ता कर सरकार पर निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों को खड़ा करने का आरोप लगाया है.

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5 संगठनों ने बनाई 'शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति'

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Published : Aug 11, 2020, 5:18 PM IST

अजमेर.राजस्थान में करीब 11 लाख निजी शिक्षक हैं. इनमें बढ़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों में निजी स्कूलों में अध्यापन का कार्य करते हैं. स्कूल को फीस नहीं लेने के लिए सरकार ने स्थगन आदेश निकाल दिए हैं. ऐसे में निजी शिक्षकों की आर्थिक स्थिति गंभीर हो गई है. शिक्षा बचाओ संघर्ष समिति की प्रवक्ता हेमलता शर्मा ने कहा कि शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के स्कूल फीस नहीं देने के बयान पर सक्षम अभिभावक भी स्कूल फीस नहीं जमा करवा रहे हैं. इससे निजी स्कूलों की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है, जिससे निजी स्कूल संचालक अपने शिक्षकों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं.

5 संगठनों ने बनाई 'शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति'

इस कारण 11 लाख कर्मचारी, जिसमें शिक्षक, गैर शिक्षक, सफाईकर्मी, सुरक्षाकर्मी, ड्राइवर और शिक्षा से जुड़े तमाम ऐसे लोग जो प्राइवेट स्कूलों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं, वे लोग बेरोजगार हो गए हैं. प्रवक्ता हेमलता शर्मा ने बताया कि 33 जिलों में शिक्षा बचाओ संघर्ष समिति बनाई गई है. राजस्थान में अब तक चार स्कूल संचालकों ने आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या कर ली है. समिति ने शिक्षा मंत्री की ओर से लिखित आदेशों को सप्ताह भर के अंदर वापस लिए जाने के की मांग की है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी स्कूलों की फीस जमा करवाने का आदेश दिया है.

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शिक्षा संषर्ष समिति के पदाधिकारी हेमेंद्र ने बताया कि समस्त जिलों में शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति बनाई गई है. उन्होंने कहा कि 18 अगस्त को जयपुर में चार सूत्रीय मांगों को लेकर व्यापक आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी. समस्त 33 जिलों में जिला कलेक्टर के माध्यम से शिक्षा राज्य मंत्री को ज्ञापन सौंप दिए गए हैं. नियोजित शिक्षक और निजी संचालकों ने कहा कि अगर सरकार लाखों कर्मचारियों को अनदेखा करती है और उनके अधिकारों का हनन करती है तो मजबूर होकर उन्हें न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा. कोई भी आंदोलन अगर होता है तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी.

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निजी शिक्षकों और निजी स्कूलों के संचालकों की मुख्य मांगें...

  • शिक्षा मंत्री की ओर से लिखित आदेशों को एक सप्ताह के अंदर वापस लिया जाए. यह आदेश पूर्ण रूप से व्यावहारिक और गैरकानूनी है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी स्कूलों की फीस जमा करवाने का आदेश दिया है.
  • आरटीई एक्ट के अनुसार निश्चित समय सीमा पर स्कूलों को भुगतान करना सुनिश्चित किया गया है. इसके बावजूद तीन साल से प्राइवेट स्कूलों के आरटीई का भुगतान नहीं हुआ है. उक्त राशि को मैं दो रुपए सैकड़ा ब्याज दर के हिसाब से स्कूलों को तुरंत प्रभाव से भुगतान करवाया जाए.
  • अधिकतर स्कूलों में विशेषकर ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की फीस फसल कटाई के उपरांत आती है और स्वार्थ मार्च माह में आती है. क्योंकि कोरोना मार्च में ही आने से स्कूल बंद हो गए. इस कारण गत शैक्षणिक वर्ष की लगभग 60 फीसदी फीस भी बकाया चल रही है. अतः शिक्षा मंत्री से अभिभावकों को निर्देशित करें. ताकि वह पैसा स्कूल में जमा हो सके, जिससे शिक्षकों को उनका वेतन दिया जा सके.
  • सरकार संस्थाओं के लिए विशेष आर्थिक पैकेज या बिना ब्याज ऋण की व्यवस्था तुरंत प्रभाव से करें

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