अजमेर.कोरोना महामारी के बीच केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश भर में लॉकडाउन घोषित किया गया है. बीते 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद से ही सभी प्रमुख धार्मिक स्थानों पर भी पूर्णतया पाबंदी लगा दी गई थी, जिसके बाद मंदिरों पर भक्तों की आवाजाही पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई थी, जिसके बाद से लॉकडाउन- 4.0 भी खत्म होने की कगार पर है. लेकिन अब तक मंदिरों के कपाट बंद है. आखिर यह कपाट कब खोले जाएंगे, इसकी कोई भी जानकारी राजस्थान सरकार की ओर से घोषित नहीं की गई है.
पार्ट-1 पुजारियों पर रोजी-रोटी का संकट हालांकि, राजस्थान सरकार की ओर से लॉकडाउन-4.0 के लिए गाइडलाइन जारी कर सभी को राहत दे दी गई हो. लेकिन इसमें भगवान को अब तक राहत नहीं दी गई है. इसके चलते उनकी सेवा करने वाले पंडितों पर भी कोरोना का संकट आ गया है. इस बीच उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है, उनके रोजी-रोटी पर भी संकट आ गया है. इसकी राह देख रहे पंडितों से जब ईटीवी भारत ने खास चर्चा की तो आइए जानते उन्होंने क्या कहा...
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आगरा गेट स्थित प्राचीन गणेश मंदिर के पुजारी घनश्याम आचार्य ने जानकारी देते हुए बताया कि 2 महीने से ज्यादा दिन का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक मंदिर के कपाट बंद पड़े है. वहीं, राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री ने सभी को राहत देते हुए शराब की बिक्री भी शुरू कर दी तो गुटखा, बीड़ी, तंबाकू, सिगरेट पर भी रोक थी, उसको भी हटा दी गई. लेकिन भक्तों के भगवान अब तक बंद ताले में पड़े हैं, आखिर उनको कब रिहा किया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकार को इस ओर ध्यानाकर्षित करना चाहिए.
आचार्य ने जानकारी देते हुए बताया कि शराब, गुटखा, बीड़ी, तंबाकू से सरकार को काफी राजस्व प्राप्त होता है. इसलिए उन्होंने उसकी बिक्री तो शुरू कर दी, लेकिन अभी तक सभी प्रमुख धार्मिक स्थान बंद हैं, जिनको खोलने को लेकर अभी तक संशय बना हुआ है. आचार्य ने कहा कि मांगलिक कार्यों की शुरुआत गणेश जी की पूजा से की जाती है, लेकिन सरकार की ओर से मांगलिक कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है, जहां परिवार के ही कुछ लोगों के साथ अब शादी करनी होगी. ऐसे में कोई भी व्यक्ति मांगलिक कार्यों को लिए पंडितों के पास सावा तक निकलवाने नहीं पहुंच रहे हैं. अब ऐसे में उनके सामने काफी बड़ी समस्या खड़ी हो चुकी है.
पुष्कर में किए जाते हैं पिंडदान
अजमेर से 17 किलोमीटर दूर स्थित पुष्कर में विश्व विख्यात जगत पिता ब्रह्मा जी का मंदिर है, जिसके भी कपाट अब तक बंद पड़े है. इस धार्मिक स्थान से सभी की आस्थाएं जुड़ी हुई है, जहां देश-विदेश से लोग दर्शन करने पहुंचते है. वहीं, पुष्कर सरोवर की अगर बात की जाए तो वहां 52 घाट स्थित जहां पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे कई पुरोहित के घर का खर्चा भी चलता है. अब ऐसे में उनके सामने संकट की घड़ी खड़ी हो चुकी है.
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पुजारी चंद्रशेखर गौड़ का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुष्कर में पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं, अगर परिवार में किसी भी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो हरिद्वार में अस्थि विसर्जन के बाद धार्मिक नगरी पुष्कर में पहुंचकर पिंडदान करने का भी काफी महत्व माना जाता है. पूरे हिंदुस्तान देश में पुष्कर का अपना एक अलग ही महत्व है. अब ऐसे में लॉकडाउन के चलते ना ही कोई पुष्कर पहुंच पा रहा है और ना ही कोई पिंडदान या धार्मिक आयोजन हो पा रहा है. अब ऐसे में पंडितों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ चुका है. वहीं, अगर पंडितों की बात की जाए तो पुष्कर में लगभग 1500 परिवार ऐसे है, जिनकी रोजी-रोटी, पूजा-अर्चना और धार्मिक कर्मकांड के आधार पर ही संचालित होती है.
यह है अजमेर के प्रमुख मंदिर
अजमेर में कई प्रमुख मंदिर हैं, जिनके कपाट अब तक बंद है. इनमें आगरा गेट स्थित प्राचीन गणेश मंदिर, पुलिस लाइन स्थित हनुमान मंदिर, नया बाजार स्थित सगाई वाले बालाजी मंदिर, अजय नगर स्थित कांच का मंदिर, अजय नगर स्थित साईं बाबा मंदिर, दरगाह बाजार स्थित शनि मंदिर शामिल हैं. इसके अलावा शहर में छोटे-मोटे करीब 400 से ज्यादा मंदिर हैं, जहां भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है. लेकिन मंदिरों के कपाट बंद होने के चलते लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे ना ही यहां वे पहुंच पा रहे हैं और भगवान के दर्शन कर पा रहे हैं.
बालाजी मंदिर के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि वह मंदिर में ही रहते हैं, इसलिए केवल मात्र पूजा-अर्चना कर लेते हैं. लेकिन उनके अलावा कोई भी मंदिर में प्रवेश नहीं किया जा सकता. ऐसे में राजस्थान सरकार को इन मंदिरों को लेकर भी कोई गाइडलाइन जारी कर देनी चाहिए, जिससे एक बार फिर से मंदिरों के कपाट खोल दिए जाए और भगवान का इंतजार कर रहे भक्त प्रभु के दर्शन कर पाएं, जिससे मंदिरों में एक बार फिर से चहल-पहल दिखाई देने लगे.