अजमेर. कोरोना महामारी ने आमजन के जीवन को ही नहीं बल्कि जीवन में उत्साह और उमंग भरने वाले त्योहारों पर भी असर डाला है. अजमेर शहर के बीच नया बाजार में भगवान श्री नृसिंह की जयंती के अवसर पर खामोशी है. कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉक डाउन की वजह से सुप्रसिद्ध लालया कालया का मेला दो वर्षों से नही भर पा रहा है. जबकि यही नया बाजार में आज के दिन पैर रखने की भी जगह नहीं होती थी. सड़क के दोनों और इमारतों पर लोगों की भीड़ लगी रहती थी. श्रदालु की कोशिश रहती थी कि मेले का एक भी नजारा आंखों से ओझल ना हो जाए.
साथ ही लालया का सोटा प्रसाद के रूप में मिल जाए. यहां बता दे कि सोटा कोई खाद्य पदार्थ नही है. बल्कि लालया के घोटे का प्रहार है. इस प्रहार को अपने शरीर पर खाने के लिए लोग आतुर रहते है. मान्यता है कि लालया से मिला सोटे का प्रसाद आशीर्वाद माना जाता है. यानी जिसके लालया का सोटा पड़ गया समझो उसे भगवान नृसिंह का आशीर्वाद मिल गया. जबकि कालया के सोटे से लोग बचने की कोशिश करते है. हजारों लोगों की उपस्थिति में स्वांग के तीन किरदार लोगों का मनोरंजन भी करते है. अब जरा तीसरे किरदार के बारे में भी आपको बता दें कि वो नकटी है. मेले में लोग नकटी को छेड़ते है और वह भी छेड़ने वालों के पीछे मारने के लिए दौड़ती है.
क्षेत्रवासी राजेन्द्र सिंह गहलोत बताते है कि उनकी उम्र 60 वर्ष हो चुकी है बचपन से वह लाल्या काल्या का मेला देखते आए हैं. इस मेले को लेकर लोगों में बेसब्री से इंतजार रहता है. उन्होंने बताया कि भगवान नृसिंह का अवतार खंबा फाड़ कर बाहर निकलता है और भक्त प्रहलाद को बचाकर दानव हिरण्यकश्यप का अंत करता है. सांकेतिक रूप से खंबा कागज का बनाया जाता है. लोग खंभे का कागज लेने के लिए भी उतारु रहते हैं. गहलोत ने बताया कि कोराना महामारी के कारण गत वर्ष बीत लॉकडाउन की वजह से मेला नहीं भर पाया.