अजमेर.कोरोना महामारी ने हर खास और आम की जिंदगी पर प्रभाव डाला है. खासकर विशेष योग्यजन बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए तालाबंदी बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. ऐसे बच्चों ने अब तक स्कूल में जो कुछ भी सीखा था, वो सब घर में रहने के कारण अब भूल चुके हैं. वहीं, उनके स्कूल नहीं जाने के कारण कामकाजी अभिभावकों को भी काफी मुश्किलें झेलनी पड़ रही है. ईटीवी भारत ने विशेष योग्यजन बच्चों और उनके अभिभावकों की मुश्किलों को समझा और शासन और प्रशासन का ध्यान इस विकट समस्या की ओर इंगित करने का प्रयास किया है.
लॉकडाउन के कारण खाली हुए हॉस्टल
अजमेर के वैशाली नगर में बधिर विद्यालय काफी पुराना है. यहां सुनने और बोलने में असक्षम बच्चों को भाषा का प्रशिक्षण और अध्यनन करवाया जाता है. लॉकडाउन के बाद अनलॉक 2 की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन स्कूल के क्लास रूम खाली है. वहीं, स्कूल का खेल मैदान भी सुना पड़ा है. जाहिर है कि कोविड 19 को लेकर 31 जुलाई तक केंद्र और राज्य सरकार ने सभी प्रकार की शिक्षण संस्थाओं को बंद रखने के आदेश दिए हैं. ऐसे में बधिर विद्यालय में पहले दिन से ही स्कूल और हॉस्टल खाली हो गए. कई बच्चे अपने परिजनों के साथ घर वापस चले गए.
स्कूल में 260 बच्चे करते हैं पढ़ाई
बधिर स्कूल के प्राचार्य संत कुमार सिंह बताते है कि स्कूल में 260 बच्चे अध्यनरत है. स्कूल के प्रबंधन के लिए समाज कल्याण विभाग से अनुदान मिलता है, लेकिन स्कूल के ज्यादात्तर खर्चे लोगों के दान पर निर्भर है. स्कूल बंद होने के बाद से संस्था को दान भी नहीं मिला है. आगामी समय में और भी बड़ी चुनोतियां है. उन्होंने बताया कि स्कूल कक्षा प्रथम से बारहवीं तक है. इसमें कक्षा 6 तक बच्चे छोटे है उनके साथ सोशल डिस्टेंसिंग की समस्या रहेगी. वहीं, संस्था में दान नहीं आने से आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ रहा है.
सुनने और बोलने में असक्षम बच्चों के प्रशिक्षण और पढ़ाई पर ब्रेक लगने से बच्चों पर काफी प्रभाव पड़ा है. लिहाजा संस्था ने सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चों को अध्यनन से जोड़ने के लिए ऑनलाइन कार्य देना शुरू किया है. प्रशिक्षित अध्यापक वीडियो के माध्यम से बच्चों को प्रश्न देते है. वहीं, बच्चे वीडियो के माध्यम से ही प्रश्नों का जवाब और अपनी जिज्ञासा को बताते है. बधिर विद्यालय की अध्यापिका पंकज शर्मा ने बताया कि बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखना आवश्यक है इसलिए ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लेना पड़ा है.