खेतड़ी (झुंझुनू).पर्यावरण दिवस (environment day) हर साल 5 जून को मनाते हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजों में ही दफन हो जाता है. हकीकत में खेतड़ी क्षेत्र के मेहाड़ा पंचायत के मोड़ी गांव में पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ रही है. गांव के लोग तिल-तिल कर मरने के लिए मजबूर हो रहे हैं. गांव में 250 घरों में 3 हजार के करीब आबादी है, लेकिन प्रशासन कहे या खनन विभाग कहे गांव से करीब 100 मीटर की दूरी पर ही खनन माफिया लीज चला रहे हैं, जहां पर प्रतिदिन अवैध ब्लास्टिंग (illegal blasting) की जा रही है.
दिन में दस से बारह बजे के बीच में गांव वालों की सांसे उखड़ी रहती है कि भारी ब्लास्टिंग से पत्थर मकानों पर न गिर जाए. ब्लास्टिंग से गिरे पत्थरों से हादसे का शिकार होने का हमेशा डर सताता रहता है. दस से बारह बजे के बीच लोग घरों में दुबके रहने पर मजबूर हो रहे हैं. पशुओं को भी बाहर चलने के लिए नहीं छोड़ सकते. फसल बुवाई का समय आ गया है, लेकिन गांव के लोग खेतों में भी नहीं जा पा रहे हैं. खनन क्षेत्र के पास खेत है, वहां मकान भी बने हुए हैं. खेतों में रहना तो दूर किसान लोग खड़े भी नहीं रह सकते. महिलाएं पानी भरने के लिए जाती है, तो डरते हुए ही जाती है.
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खेतों में भी पशुओं के लिए चारा लाने के लिए भी जाने से भयभीत रहती है. गांव के पास में ही लगे क्रेशर से डस्ट और मिट्टी उड़ती रहती है. खेतों की जमीन डस्ट और धूल की वजह से बंजर हो गई है. ग्रामीणों में अस्थमा और टीबी की बीमारियां (Asthma and TB diseases) होने का खतरा पैदा हो गया है. वैध खनन और अवैध ब्लास्टिंग रुकवाने की मांग को लेकर शुक्रवार को ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया. उनका कहना है अगर भारी ब्लास्टिंग और अवैध खनन नहीं रुका तो ग्रामीण अपने स्तर पर कार्रवाई करते हुए खनन माफिया (mining mafia) से मुकाबला करते हुए खनन रुकवाएंगे. तिल तिल कर मरने से अच्छा है एक दिन ही मर जाए.
मोड़ी इलाखर बांध के अस्तित्व पर संकट
अवैध भारी ब्लास्टिंग से कई गांवों में पानी की आपूर्ति करने वाला मोड़ी इलाखर बांध के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है. ब्लास्टिंग की वजह से बांध में दरारें आनी शुरू हो गई हैं. अगर तेज बरसात हुई बांध भरा तो कई गांवों को खतरा पैदा हो सकता है. ग्रामीणों ने बताया कि यह बांध हमारे लिए जीवन रक्षक का काम करता है, लेकिन ब्लास्टिंग की वजह से इसके अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है.