उमरिया।इच्छाशक्ति के साथ कोई पहल शुरू की जाए तो उसके परिणाम हमेशा बेहतर होते हैं.जिले के ग्राम पंचायत गौरैया विकासखंड पाली में रहने वाले हिमांशु तिवारी में लोगों की सेवा का जुनून है. लोगों को प्रेरणा भी देते हैं. ऐसा ही कुछ उमरिया जिले के युवाओं की टोली ने किया है, जिसकी अब खूब चर्चा होने लगी है. ये सभी लोग मिलकर पौधारोपण करते हैं(Umaria youth group plants saplings together), जिसके लिए ये अब अपने जिले में जाने जा रहे हैं.
कोरोना महामारी के समय टोली ने लिया था संकल्प: जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं का समूह है, जिन्हें पौधारोपण का जुनून है. किसी की शादी हो, जन्मदिन हो या पुण्य तिथि सभी अवसर पर ये ग्रुप पौधा लेकर पहुंच जाते हैं. इन युवाओं का यह समूह जिले भर में 5 हजार से अधिक पौधों का रोपण कर चुका है. कोरोना महामारी के समय ऑक्सीजन की कमी से कई लोग अपनी जान गवा रहे थे. उसी समय हिमांशु तिवारी और उनकी टोली ने संकल्प लिया कि, अलग-अलग स्थानों पर सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पौधे का रोपण किया जाए. उसी योजना में इन लोगों ने कार्य करना आरंभ कर दिया है. ये कोरोना से पहले भी कोई भी अवसर पर पौधा लेकर उन लोगों तक पहुंचकर पौधारोपण करवाने का कार्य करते थे.
किसी भी आयोजन पर करते हैं पौधारोपण: इन्हें पौधारोपण की प्रेरणा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अंकुर योजना से मिली. अंकुर योजना से जुड़ने के बाद युवाओं में ऐसा जुनून सवार है कि, हर समय इनकी जुबान पर पौधारोपण की बात ही होती है. खुद की आमदनी या खुद से खरीद कर पौधे लेकर किसी के जन्मदिन और शुभ अवसर पर पौधारोपण का आयोजन कर पौधा रोपित करते हैं. युवा हिमांशु तिवारी ने कलेक्टर, अपर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पाली एसडीओपी, जिले के थाना प्रभारी और अन्य विभागों के मार्गदर्शन व सहयोग से युवाओं विभिन्न स्थानों पर पौधारोपण किया.
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पौधारोपण बना जीवन का हिस्सा:हिमांशु तिवारी बताते हैं कि, पाली एसडीओपी डॉ जितेंद्र सिंह जाट के साथ मिलकर एसडीओपी कार्यालय में नीम का पौधारोपण किया गया था, वह पौधा अब पेड़ बन चुका है. उन्होंने कहा कि, उनके लगाए, आम, अमरूद, सीताफल, नीबू के पौधे अब फल देने लगे हैं. उन से प्रेरित होकर गांव के लोग पौधा लगाने लगे हैं. उन्होंने कहा कि पौधारोपण उनके जीवन का हिस्सा बन गया है. इसके बदले उन्हें कोई मानदेय नहीं मिलता है और न ही उन्हें इसकी अपेक्षा है बस यही चाहते हैं लोग पौधे लगाएं.