उमरिया।2018 में मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था. इस साल मप्र में 526 बाघ मिले थे. लेकिन बांधवगढ़ सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में 11 माह में 21 बाघों की मौत से पार्क प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं. बांधवगढ़ पार्क में 500 से एक हजार कर्मचारियों की फौज है, यहां पार्क में एक माह में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसके बाद भी बाघों की मौत रोकने में यह अमला नाकाम साबित हो रहा है. मार्च- अप्रैल माह में फिर बाघों की गिनती होने वाली है. यदि इस तरह बाघों की मौत होती रही, तो प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा और बांधवगढ़ में सबसे अधिक बाघ होने का तमगा बरकरार रखने में दिक्कत हो सकती है.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की स्थिति
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1530 वर्ग किमी में फैला फैला हुआ है. इस पार्क में 2018 की गणना के मुताबिक 124 बाघ हैं. उमरिया, शहडोल, कटनी और सीधी चार जिलों को कवर करने वाले इस पार्क में 500 से अधिक कर्मचारी हैं. जिन पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. आठ माह में 11 बाघों की मौत हुई है. बीते आठ महीनों में कम से कम 5 बाघों का शिकार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंदर हुआ है. जबकि जिले में तीन तेंदुओं का शिकार करंट लगाकर किया गया है. इसके बावजूद एंटी पोचिंग टीम का कहीं पता नहीं चला. इस टीम के खुफिया तंत्र की कमजोरी ही सामने आई. जबकि इसके लिए अच्छा खासा पैसा खर्च किया जाता है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंच रहे हैं. वे यहां शाम को वन विभाग के अधिकारियों के साथ वन विभाग के कार्यों की समीक्षा करेंगे. इसमें बाघों की मौतों पर सवाल उठ सकता है.
इस साल हुई बाघों की मौत
- 9 अप्रैल को खितौली में एक बाघ शावक की मौत. शावक एक साल का था, दूसरे बाघ ने संघर्ष में मार दिया.
- 22 अप्रैल को पनपथा में 10 वर्षीय बाघ की मौत. शव झाड़ियों में छिपा मिला था.
- 14 जून को ताला में दो शावकों की मौत, 15 से 20 दिन के थे.
- 24 सितंबर को धामोखर में बाघिन की बाघ से संघर्ष में मौत.
- 10 अक्टूबर को बांधवगढ़ में दो बाघ शावकों की रहस्यमय से मौत.
- 17 अक्टूबर को सोलो बाघिन 42 और उसके दो शावकों की मौत और उसके दो शावक लापता हो गए, अभी तक पता नहीं चला.
- 15 नवंबर को शहडोल के ब्यौहारी में बाघ का जमीन में दफन शव मिला, इसका शिकार हुआ था.
हाथियों का संकट
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में झारखंड और छत्तीसगढ़ से आए हुए हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह हाथी किसानों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन पार्क प्रबंधन ग्रामीणों की कोई मदद नहीं कर रहा है. इस मामले में ग्रामीणों में नाराजगी बनी हुई है.