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उज्जैन में नगर पूजा:कलेक्टर ने अष्टमी पर चौबीस खंबा मंदिर में माता को चढ़ाई मदिरा - भैरव मंदिर उज्जैन

उज्जैन में कलेक्टर ने आज नगर पूजा की, और चौबीस खंबा मंदिर में माता को भोग लगाया. जिसके बाद 27 किलोमीटर तक शहर में शराब की धार चढ़ाकर, भैरव मंदिर और माता मंदिरों में शराब का भोग लगाया गया.

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चौबीस खंबा माता मंदिर

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Published : Oct 24, 2020, 11:25 AM IST

Updated : Oct 24, 2020, 12:15 PM IST

उज्जैन। महाअष्टमी पर्व पर उज्जैन में नगर पूजा की गई, जिसके तहत माता मंदिर में शराब चढ़ाई गई. परंपरा के अनुसार चौबीस खंबा माता मंदिर में की गई आरती में कलेक्टर शामिल हुए. उज्जैन के चौबीस खंबा माता मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है. यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे, इसी परंपरा का निर्वाह जिलाधीश द्वारा किया जा रहा है. यहां कलेक्टर ने माता को मदिरा का भोग लगाया, जिसके बाद 27 किलोमीटर तक शहर में शराब की धार चढ़ाकर, भैरव मंदिर और माता मंदिरों में शराब का भोग लगाया गया.

चौबीस खंबा मंदिर में माता को लगाया मदिरा का भोग

शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी के दिन साल में एक बार जिला प्रशासन द्वारा नगर पूजा की जाती है. पूजा के बाद मदिरा का प्रसाद न सिर्फ पुरुष बल्कि महिला और बच्चे भी पीते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते ये प्रसाद किसी भी श्रद्धालुओं को नहीं दिया गया. लगभग 27 किलोमीटर लंबी इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाता है. जिला प्रशासन के साथ-साथ कई श्रद्धालु पैदल चलते हैं, यह यात्रा सुबह से प्रारंभ होती है, जो शाम तक खत्म होती है, ये यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर 24 खंबा मंदिर से प्रारंभ होकर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होती है. यात्रा की खास बात ये है, कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है, जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है, जो टूटती नहीं है. पूजा में जिला कलेक्टर के साथ प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. इस बार कलेक्टर के साथ-साथ आम श्रद्धालुओं ने भी माता को शराब का भोग लगाया.

महाअष्टमी पर प्रशासन की ओर से होने वाली नगर पूजा देखने लायक होती है. लोगों को वर्षभर इसका इंतजार रहता है. माता का भैरव मंदिर मिलाकर कुल 40 मंदिरों में यहां पूजा होती है. पूजा में दो तेल के डिब्बे, 5 किलो सिंदूर, 25 बोतल मदिरा सहित 39 प्रकार की सामग्री लगती है. एक दर्जन कोतवाल सहित 50 से अधिक कर्मचारी 12 घंटे में 27 किलोमीटर पैदल चल कर पूजन संपन्न करते हैं.

हजार साल पुराने मंदिर में ऐसे शुरू होती है पूजा

नवरात्रि में महाअष्टमी पर जहां घरों में माता के भक्त कुलदेवी का पूजन करते हैं, वहीं उज्जैन प्रशासन द्वारा नगर पूजा का आयोजन किया जाता है. खुद कलेक्टर प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में महाअष्टमी के दिन सुबह गुदरी चौराहा स्थित चौबीस खंभा माता मंदिर में मदिरा की धार चढ़ाकर नगर पूजन की शुरुआत करते हैं. इसके बाद महाअष्टमी पर शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर पर दोपहर 12 बजे शासकीय पूजा होती है. यह नगर पूजा अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर रात 8 बजे समाप्त होती है.

उज्जैन में नगर पूजा

इसलिए चढ़ती है शराब

महाकाल वन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विराजित माता महामाया और माता महालाया चौबीस खंभा माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं. यहां पर मंदिर के भीतर 24 काले पत्थरों के खंभे हैं, इसीलिए इसे 24 खंभा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. ये उज्जैन नगर में प्रवेश करने का प्राचीन द्वार हुआ करता था. पहले इसके आसपास परकोटा हुआ करता था. तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध उज्जैन या प्राचीन अवंतिका के चारों द्वार पर भैरव तथा देवी विराजित हैं, जो आपदा-विपदा से नगर की रक्षा करते हैं. चौबीस खंभा माता भी उनमें से एक हैं. ये मंदिर करीब एक हजार साल पुराना है. नगर की सीमाओं पर स्थित इन देवी मंदिरों में राजा विक्रमादित्य के समय से नगर की सुरक्षा के लिए पूजन और मदिरा चढ़ाए जाने की परंपरा चली आ रही है.

Last Updated : Oct 24, 2020, 12:15 PM IST

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