उज्जैन: भगवान भी शराब पीते हैं...पीने में क्या बुराई है. ये बोल थे मध्यप्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी के..लेकिन पिछले एक साल में जहरीली शराब पीने से मध्यप्रदेश में 50 लोग जान गंवा चुके हैं. राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के साथ ही प्रदेश में शराबबंदी की भी चर्चाएं हो रही हैं. लेकिन बीजेपी नेता के बयान से अब ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या शराब देवता भी पीते थे...तो क्या अब मध्यप्रदेश बीजेपी भगवान के नाम पर शराब दुकानें बढ़ाना चाहती है ?
मध्यप्रदेश में 'भगवान' भी शराब पीते हैं ! ये भी पढ़े: बीजेपी नेता का बेतुका बयान, कहा- पीने में क्या बुराई, देवता भी पीते हैं शराब
आपने अक्सर सुना होगा कि शराब के समर्थक यह कहते सुने गए हैं कि देवता भी तो शराब पीते थे. सोमरसक्या था, शराब ही तो थी. प्राचीन वैदिक काल में भी सोमरस के रूप में शराब का प्रचलन था ? या शराब जैसी किसी नशीली वस्तु का उपयोग देवता करते थे ? कहीं वे सभी भांग तो नहीं पीते थे जैसा कि शिव भगवान के बारे में प्रचलित है कि वे भांग पीते थे ?
ऋग्वेद में शराब के बारे में क्या कहा गया-
।।हृत्सु पीतासो युध्यन्ते दुर्मदासो न सुरायाम्।।
मतलब: सुरापान करने या नशीले पदार्थों को पीने वाले अक्सर युद्ध, मार-पिटाई या उत्पात मचाया करते हैं.
उज्जैन में तो भगवान ही पीते हैं शराब !
उज्जैन में भगवान महाकाल के कोतवाल काल भैरव पर परंपरा के अनुसार श्रद्धालु प्रसाद के रूप में देशी और विदेशी शराब ले जाते हैं और भगवान काल भैरव तो देखते ही देखते शराब पी जाते हैं. चमत्कार देखने श्रद्धालु दूर-दूर से उज्जैन आते हैं. जिसमें बड़ी संख्या में महाराष्ट्र ,गुजरात, राजस्थान और दिल्ली सहित अन्य प्रांतों से श्रद्धालु भगवान के लिए शराब चढ़ाने यहां आते हैं. शराब लेकर भगवान के दर्शन करने जा रही ये भीड़ आपको थोड़ा हैरान कर सकती हैं. क्योंकि क्या बच्चे और क्या महिलाएं और बुजुर्ग सभी भगवान को प्रसाद के रुप में शराब चढ़ाते हैं. मंदिर के पुजारी भी कहते हैं कि हां भगवान शराब पीते हैं लेकिन उसके बाद ये शराब कहां जाती है ये एक रहस्य है.
ये भी पढ़े: शराब पर 'लड़खड़ाई' शिवराज सरकार !
मध्यप्रदेश सरकार ने खोली हैं काल भैरव के सामने मदिरा दुकानें
अब आप ये सोच रहे होंगे कि श्रद्धालु दिल्ली, गुजरात या दूसरे राज्यों से यहां शराब कैसे लाते होंगे...क्या कोई चेकिंग नहीं होती..तो जनाब भगवान के लिए शराब की बिक्री खुद मध्यप्रदेश सरकार ही करती है. इसके लिए बकायदा मंदिर के सामने शराब की दुकानें खोली गई हैं. यहां आबकारी विभाग शराब बेचने के लिए खुद परमिशन देती है.
कलेक्टर खुद पिलाते हैं भगवान को शराब
नवरात्रि से एक दिन पहले 24 खंबा माता मंदिर में महालया और महामाया के मंदिर है. जहां उज्जैन की सुख-शांति के लिए सालों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन खुद उज्जैन के कलेक्टर करते हैं. और कलेक्टर खुद भगवान को शराब चढ़ाते हैं, यहां तक कि उनके मुंह में बोतल लगाकर शराब पिलाते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य खुद अपनी प्रजा की खुशहाली के लिए उस समय माता मंदिरों में शराब पिलाते थे. जिस परंपरा को उज्जैन कलेक्टर भी आगे बढ़ाते रहे हैं.
'शराब चढ़ाने से मन्नतें पूरी होती हैं'
काल भैरव के दर्शन करने देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं, श्रद्धालु कहते हैं कि हम यहां शराब चढ़ाते हैं. जिससे हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएं. चाहे वो देशी शराब हो या अंग्रेजी बस भगवान को प्रसाद के रुप में चढ़ाने है.
ये भी पढ़े: शराबबंदी के लिए CM शिवराज से करूंगी बात : उमा भारती
शराब पर सरकार !
मुरैना जहरीली शराबकांड में 25 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद प्रदेश में शिवराज कुछ कहते हैं तो नरोत्तम मिश्रा कुछ, एमपी की सियासत से गायब हो चुकी उमा भारती भी जोश में आ गई और शराबबंदी की मांग मध्यप्रदेश में करनी लगीं. इसके बाद तो मध्यप्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश चतुर्वेदी ने देवताओं को आगे ला दिया. और देवताओं के नाम पर और भी शराब दुकानें खोलने की ओर इशारा करने लगे. बहराल राज्य में शराब की नई दुकानें खुलेंगी या नहीं, ये तो पता नहीं. लेकिन शराब पर सियासत तो पकड़ चुकी है, सरकार और संगठन के बीच मतभेद प्रदेश देख रहा है, लेकिन अब तो भगवान के नाम पर ही शराब को और बढ़ावा देने का इशारा बीजेपी ने कर दिया है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता.