उज्जैन।नवरात्रि पर्व (Navratri Festival 2021) माता की शक्ति की आराधना का पर्व है. नवरात्रि का धर्मशास्त्रों में खास महत्व माना जाता है. इन दिनों माता की उपासना की जाती है. महाकाल की नगरी उज्जैन में भी शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है. वैसे तो उज्जैन मंदिरों (Ujjain Temples) का शहर है, लेकिन महाकाल मंदिर के पीछ स्थित हरसिद्धि माता मंदिर (Harsiddhi Mata Mandir) का धर्मशास्त्रों में विशेष महत्व माना जाता है. करीब दो हजार साल पुराना यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है.
51 शक्ति पीठों में से एक है हरसिद्धि पीठ
उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि का मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. शारदीय नवरात्रि के अंतर्गत पहले दिन मंदिर प्रांगण में कलश पुजन, घट स्थापना, प्रातः 10 बजे की जायेगी. साथ ही प्रतिदिन देवी भागवत कथा का आयोजन दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक हरसिद्वि भक्त मंडल एवं मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सम्पन्न होगा. प्रातः प्रतिदिन 10 बजे भोग प्रसादी, शाम को दीपमालिका आरती और फिर प्रसादी वितरण किया जायेगा.
राजा दक्ष ने शिव का किया था अपमान
पंडित महेश पुजारी ने बताया कि शास्त्रों में प्रचलित कथा के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में सारे देवी देवता को आमंत्रित किया था, लेकिन उनके जमाता भगवन शिव (Lord Shiva) को यज्ञ में नहीं बुलाया गया. राजा दक्ष ने शिव का अपमान किया.
भगवान विष्णु ने किये थे माता सती के 51 टुकड़े
माता सती को शिव का ये अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने अपने आप को अग्नि के हवाले कर दिया. ये सब देखकर भगवन शिव माता सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी के चक्कर लगाने लगे. शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के 51 टुकड़े कर दिए. जहां-जहां माता सती के शरीर टुकड़े गिरे वहां-वहां शक्ति पीठों का निर्माण हुआ.