टीकमगढ़। जिला जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी और कैदियों को जेल प्रबंधन पौष्टिक और मिलावट रहित शुद्ध सब्जियां परोस रहा है. जिसे जेल के अंदर उगाया जाता है. जो बिल्कुल देशी और शुद्ध होती है. ये खेती जेल में बंद कैदियों से कराई जाती है, जिनकी सजा कम रह जाती है और जो कैदी विश्वसनीय होते हैं. फिलहाल, जेल में बंद 7 कैदी सब्जी की खेती और इनकी देखभाल करते हैं और तैयार सब्जी तोड़कर जेल में ले जाते हैं.
जिला जेल में कैदी कर रहे सब्जी की खेती, कैदियों को परोसी जा रही शुद्ध-ताजी सब्जी
टीकमगढ़ जिला जेल में खाली पड़ी जमीन पर जो सब्जियां उगाई जाती हैं, उनमें ककड़ी, भिंडी, लौकी, कद्दू गिलकी, कटहल और शामिल है. ये सभी सब्जियां जेल में ही बंद कैदी द्वारा उगाया जाता है.
टीकमगढ़ जिला जेल में खाली पड़ी जमीन पर जो सब्जियां उगाई जाती हैं, उनमें ककड़ी, भिंडी, लौकी, कद्दू गिलकी, कटहल और शामिल है. ये सभी सब्जियां जेल में ही बंद कैदियों और बंदियों को खाने के लिए दी जाती है. इस तरह जेल में बंद 350 कैदियों को ताजा और हरी सब्जियां दी जाती हैं, जो कैदी सब्जी उगाने का काम करते हैं, उन्हें जेल प्रबंधन की तरफ से 72 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक भी दिया जाता है.
जेलर का कहना है कि जो हरी सब्जियां कैदियों को परोसा जाता है, उनसे कैदी बीमार नहीं पड़ते हैं क्योंकि सब्जी ताजी, शुद्ध और पौष्टिक होती है. जेल में प्रतिदिन कैदियों को खाने में 40 किलो सब्जी लगती है. ज्यादा संख्या में कैदी होने के चलते बाजार से खरीदने के साथ ही जेल में उगाई जाने वाली हरी शुद्ध सब्जी कैदियों को खाने के लिए दी जाती है.