सीधी। किसान किस हद तक शोषित होता आया है, जिसकी बानगी ग्राम पंचायत तेंदुआ नंबर एक में देखने को मिली, जहां गुलाब सागर नहर का काम मशीनों से चल रहा है, जिससे स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नहीं दिया जाता. इतना ही नहीं मुआवजा के लिए एक साल से आदिवासी किसानों की किस्मत में भटकने के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा.
मशीन से हो रही गुलाब सागर नहर की खुदाई, एक साल बाद भी किसानों को नहीं मिला मुआवजा
किसानों के हित की बात तो की जाती है, लेकिन वास्तव में उनको कभी लाभ नहीं मिल पाता है, सीधी जिले की तहसील सिहावल के तहत एक गांव में एक साल से गुलाब सागर नहर का काम मशीनों से तो शुरू कर दिया गया, लेकिन मुआवजा आज तक किसानों को नसीब नहीं हुआ है.
ग्रामीणों ने बताया कि मुआवजा नहीं दिया गया और नहर खोद ली गई है, गरीब ग्रामीणों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है. ठेकेदारों द्वारा धमकाया और डराया जाता है. जब प्रशासन को इसकी सूचना दी गयी, तब एसडीएम की टीम द्वारा मौके पर पहुंचकर जांच की गई और 5 तारीख के बाद ग्रामीणों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया.
बहरहाल सरकार किसानों के हालात सुधारने की बात जरूर करती है, लेकिन हकीकत में किसान आज भी शोषित होता है. एक साल से मुआवजा के लिए भटक रहे किसानों को कब तक राहत राहत मिलती है देखने वाली बात होगी.