सीधी। सीधी जिला चिकित्सालय भगवान भरोसे चल रहा है, जहां बढ़ रहे भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी के चलते लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है. कई बार जिला प्रशासन तक शिकायत की जाती है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता. जिससे अब जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह से पटरी से उतर गई हैं. वहीं अब अस्पताल में पत्रकारों को भी अंदर कवरेज करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सिविल सर्जन के इस स्वघोषित आदेश को लेकर कांग्रेस ने कड़ा विरोध कर जिला चिकित्सालय के सामने एक दिवसीय धरना विरोध किया. साथ ही जल्द अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने जिला प्रशासन को आगाह किया है.
कांग्रेस ने दिया एक दिवसीय धरना कई लापरवाही उजागर
सीधी जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं दिनों दिन बिगड़ती जा रही है, कहीं खून ना मिलने से मरीज तड़प कर दम तोड़ देता है, तो कहीं एंबुलेंस ना मिलने से मौत हो रही है. डॉक्टरों सहित नर्सों द्वारा मरीज और उनके परिजनों के साथ अभद्रता कर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है.
तीन माह के भीतर करीब 6 मौतें जिला अस्पताल की लापरवाही उजागर करती हैं. जब से सिविल सर्जन के पद संभाले डॉक्टर डीके द्विवेदी को जिम्मेदारी दी गई है, तब से व्यवस्थाएं और बिगड़ गई है. जिला अस्पताल में 19 डॉक्टरों की तैनाती की जाती है, जिसमें दो चार डॉक्टरों को छोड़ कर सभी अपनी निजी क्लिनिक चला कर मरीजों को अपने क्लिनिक में जाने को मजबूर कर रहे है.
डॉक्टरों और एंबुलेंस के इंतजार में मरीजों की मौत
एक सप्ताह पहले ही शहर के व्यापारी निशांत खरे 38 साल के युवा को वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं हो पाया है. जमीन पर लिटाकर डॉक्टरों के 5 घंटे नहीं आने से मौत हो गई. डेढ़ सप्ताह पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज तड़पता रहा, 6 घंटे एम्बुलेंस नहीं मिलने से उसने दम तोड़ दिया. जिसका कवरेज करने गए पत्रकारों को अब अस्पताल के अंदर भी जाने नहीं दिया जा रहा है. तमाम अव्यस्थाओं को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी ने जिला चिकित्सालय के सामने विरोध कर धरने पर बैठ गए.
कांग्रेस ने किया विरोध
कांग्रेस नेता सुरेश सिंह का कहना है कि जिला अस्पताल में अव्यस्थाओं का अंबार लगा हुआ है. वहीं युवा कांग्रेस की जिला अध्यक्ष रंजना मिश्रा का कहना है कि अपनी कमियां उजागर होने के डर से सिविल सर्जन पत्रकारों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, जो गलत है. इसका कांग्रेस विरोध करती है.
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जिला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र भदौरिया का कहना है कि डॉक्टर से लेकर नर्से तक निजी अस्पतालों में बिकी हुई हैं, कभी कभार कलेक्टर एक घंटे के लिए सिविल सर्जन की कुर्सी पर बैठ जाते हैं, तो दो चार दिन व्यवस्थाएं ठीक रहती हैं, जिसके बाद फिर वहीं रफ्तार पकड़ लेती है.
युवा कांग्रेसी नेता रोहित मिश्रा का कहना है कि डॉक्टरों द्वारा गंभीर मरीजों को घंटों तक नहीं देखना, दवाई नहीं मिलना, जिससे लगातार जिला अस्पताल में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है. जिसका कांग्रेस विरोध करती है और शासन को आगाह करती है कि जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारी जाएं, नहीं तो कांग्रेस उग्र आंदोलन को मजबूर होगी.