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लॉकडाउन में आर्थिक तंगी के शिकार हुए अधिवक्ता, सरकार से लगाई मदद की गुहार

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Published : Jul 30, 2020, 2:32 PM IST

कोरोना वायरस के चलते सभी वर्गों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसी कड़ी में सीधी जिले के अधिवक्ताओं ने अपनी परेशानी साझा करते हुए सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

sidhi district court
सीधी जिला न्यायालय

सीधी।कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने देश की आर्थिक स्थिति को बहुत नुकसान पहुंचाया है. जिसने सभी वर्गों को प्रभावित किया है. इसी कड़ी में अधिवक्ताओं को भी आर्थिक बदहाली का सामना करना पड़ रहा है. सीधी में करीब दो हजार अधिवक्ता हैं, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. हालात ये है कि अब इनके लिए परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में अधिवक्ताओं ने ईटीवी भारत से अपनी परेशानी साझा की है. साथ ही सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

आर्थिक तंगी के शिकार हुए अधिवक्ता

लॉक डाउन की मार

कोरोना वायरस से जहां पूरे देश में आर्थिक बदहाली छाई हुई है, वहीं किसान, मजदूर, व्यवसायी और अन्य वर्ग को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है, वहीं लोगों को न्याय दिलाने में सहयोग करने वाले अधिवक्ता भी लॉक डाउन की मार झेल रहे है.

न्यायालय के काम काज बंद

सीधी जिले के दो हजार अधिवक्ताओं में से करीब 12 सौ अधिवक्ता जिला न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे है. इन अधिवक्ताओं ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि लॉक डाउन के पहले अच्छी खासी जिंदगी गुजर रही थी, लेकिन पिछले चार महीनों से न्यायालय के काम काज बंद है, जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

परिवार चलाना हो रहा मुश्किल

उन्होंने बताया कि न्यायालय के काम काज बंद होने से पक्षकार नहीं आते, पेशी पर सूचना देकर बढ़ा दी जाती है, जिससे प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. अब उनके पास न्यायालय के बाहर भटकने के अलावा कुछ नहीं बचा है, सभी ने कहा कि सरकार को अधिवक्ताओं के बारे में चाहिए, जिससे उनके परिवार का गुजारा हो सके.

सरकार से लगाई मदद की गुहार

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है, वहीं गरीब मजदूर, व्यवसायी सभी आर्थिक बदहाली की मार झेल रहे है. इन अधिवक्ताओं में कुछ ऐसे भी वकील है, जो अदालत में वकालत के अलावा दूसरा कोई व्यवसाय नहीं करते, ऐसे में रोज कमा कर घर चलाने वाले वकीलों के सामने भूखे मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. इस स्थिति में सभी ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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