शिवपुरी। किसी समय आतंक का पर्याय रहे 30 हजार रुपये के इनामी चंदन गड़रिया के एनकाउंटर के बाद अब उसकी पत्नी 5 साल से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दरबदर की ठोकर खा रही है, लेकिन चंदन गड़रिया का मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहा है.
दरअसल, ये एनकाउंटर 3 पंचायतों की सीमाओं में उलझा हुआ है. पंचायतों के कर्ताधर्ता किसी डकैत की मौत को अपनी पंचायत से जोड़ना नहीं चाहते है. नतीजा यह हुआ कि मृतक चंदन की पत्नी गीता को विधवा पेंशन जैसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसके लिए गीता कलेक्टर के यहां जनसुनवाई में भी 5 अगस्त 2019 को आवेदन लगा चुकी है.
5 साल पहले हुआ था एनकाउंटर
पुलिस ने जनवरी 2016 में 30 हजार रुपये के इनामी डकैत चंदन गड़रिया को केनवाया के जंगलों में मार गिराया था. चंदन करैरा तहसील के मामौनी गांव का रहने वाला था. मृतक की पत्नी गीता का कहना है कि चंदन के साथ पुलिस ने जो किया सो किया, लेकिन अब पेट कैसे भरे. पांच बच्चे हैं, कच्चा मकान है. कम से कम गुजारे के लिए विधवा पेंशन और राशन के लिए बीपीएल कार्ड तो सरकार दें. गीता ने कहा कि मेरे बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं. बच्ची शादी के लायक हो गई है, लेकिन न तो कोई सुनवाई हो रही है और न ही कोई मदद मिल रही है.
दयाराम रामबाबू गैंग से रहा नाता
30 हजार के इनामी चंदन गड़रिया का पहले दुर्दांत दस्यु गिरोह और प्रदेश में टी-1 पर दर्ज रहे 5 लाख के इनामी दयाराम रामबाबू गड़रिया गिरोह से नाता रहा. यह गिरोह को राशन-पानी मुहैया कराता था. इसके बाद उसने पुलिस के लिए भी मुखबिरी की, लेकिन जब चंदन को दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी बनाया गया, तो वह फरार हो गया और डकैत बन गया.