शाजापुर। 5 अगस्त को अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी. यह सपना देखते हुए सैकड़ों कारसेवकों ने बलिदान दे दिया था. राम जन्मभूमि के लिए निकाली गई तमाम यात्राओं में अपनी अहम भूमिका निभाई, उन्हीं में शाजापुर जिले के कारसेवक दिग्दर्शन सोनी और हेमंत टेलर हैं. इन्होंने राम जन्मभूमि के लिए कई सालों तक काम किया.
राम मंदिर निर्माण से बेहद खुश कारसेवक दिग्दर्शन सोनी कारसेवक जब राम जन्मभूमि से जुड़े
दिग्दर्शन सोनी बताते हैं कि जिले में सन 1988 में श्री राम-जानकी यात्रा आई थी, तभी से वो राम जन्मभूमि से जुड़ गए थे. इस यात्रा में उन्होंने श्री राम जानकी रथ की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाई थी. इसके बाद सन 1989 में शाजापुर जिले में रामशिला आई थी, रामशिला के पूजन के लिए देख दर्शन सोनी ने पूरे जिले में भ्रमण कर रामशिला का पूजन कराया था और कई लोगों को राम जन्मभूमि से जोड़ने का काम किया था.
1990 के वक्त क्या था मंजर
दिग्दर्शन सोनी ने बताया कि 1990 में कार सेवा का प्रथम आह्वान हुआ था, जिसमें दिग्दर्शन सोनी अपने 15 साथियों के साथ साबरमती ट्रेन में सवार होकर अयोध्या के लिए निकले थे, लेकिन उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी और अयोध्या जाने वाले लोगों पर सरकार की विशेष नजर थी, इसलिए लिए वह क्रिकेट टीम के रूप में गए थे, लेकिन झांसी में पुलिस ने पूरी टीम को पकड़ लिया था, झांसी रेलवे स्टेशन से पूरी ट्रेन में करीब 90 लोग कार सेवा करने अयोध्या जा रहे थे. सभी लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने पकड़कर झांसी के बीकेडी कॉलेज में बंदी बनाकर रखा था. पुलिस द्वारा कार सेवकों पर जमकर बर्बरता की गई थी. पुलिस ने ऐसा मारा था कि हाथ पैर सूज गए थे. 12 दिनों तक पुलिस ने बीकेडी कॉलेज में बंदी बनाए रखा तमाम यातनायें सहनी पड़ी.
झांसी से दतिया तक किया था पैदल सफर
अयोध्या में कोठारी बंधुओं को मार दिया गया था, जिसके बाद पुलिस ने बीकेडी कॉलेज कॉलेज में बंदी सभी 90 लोगों को छोड़ दिया, उत्तर प्रदेश में हालत बिगड़ गए थे, पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत झांसी में हो गई थी. विहिप का आह्वान हुआ था कि सभी कारसेवक अपने घरों की ओर लौट जाएं, बीकेडी कॉलेज में बंदी सभी 90 लोग झांसी से दतिया तक पैदल पैदल पहुंचे, अधिकांश सफर रेलवे पटरी पर किया था. दिग्दर्शन सोनी ने बताया की बड़ी यातनाएं झेलने के बाद उनकी पूरी टीम शाजापुर पहुंची, लेकिन मन में राम जन्मभूमि के प्रति विश्वास कभी कमजोर नहीं हुआ.
भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए जताई खुशी
1992 में एक बार फिर कार सेवा करने वे अपने दोस्तों के साथ अयोध्या पहुंचे, जहां उन्होंने राम जन्म भूमि के पास विश्व हिंदू परिषद को मिली जमीन को समतल करने का काम किया, उन्होंने बताया कि उस समय राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम शुरू हो गया था, वहीं काम करते थे, कढ़ी चावल खाते और पत्थरों पर सो जाते थे, मन में सपना था कि एक दिन प्रभु श्री राम का मंदिर जरूर बनेगा और आज जब श्रीराम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है, इसका दिल से स्वागत करता हूं, इस बात से बेहद खुश हूं.
दूसरे कार सेवक व्यापारी हेमंत टेलर
ऐसा ही कुछ कहना व्यापारी हेमंत टेलर का है, हेमंत बताते हैं कि वो 1990 में राम जन्मभूमि के हर आंदोलन में शामिल हुए थे और कारसेवा करने अयोध्या के लिए निकले थे, लेकिन उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पुलिस ने सभी लोगों को बंदी बना लिया था, पुलिस द्वारा बंदी बनाए गए सभी लोगों के साथ मारपीट की गई थी और आगे नहीं जाने दिया था. बड़ी परेशानियों का सामना करते हुए वह वापस पहुंचे, इसके बाद 1 दिसबंर1992 में एक बार फिर हेमंत टेलर अपने साथियों के साथ अयोध्या पहुंचे.
पुलिस ने दी थी बहुत यातनाएं
उन्होंने बताया कि अयोध्या को पुलिस ने छावनी के रूप में तब्दील कर दिया था, 1 और 2 दिसंबर को कारसेवकों की संख्या कम थी, हमें जो काम दिया जाता था. उसे हम पूरा करते थे. 3 दिसंबर से अयोध्या में कार सेवकों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, 6 दिसंबर को पूरी अयोध्या में सिर्फ कारसेवक ही नजर आ रहे थे. 6 दिसबंर 1992 को कारसेवकों को प्रतिकारमत कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. जिसमें दो मुट्ठी रेती डालने को कहा गया था, ठीक सुबह 9 बजे कुछ कारसेवको ने विवादित ढांचे को तोड़ने का काम शुरू कर दिया था. जिसे देख करीब 6 लाख कारसेवक विवादित ढांचे को ढहाने में लग गए. विवादित ढांचे के पास ही राम लला की मूर्तियां रखी हुई थी, रामलला की मूर्तियों को कोई क्षति न पहुंचे इसलिए वहां मूर्तियों हटाकर कारसेवक पुरम में पहुंचाया गया था. शाम 6 बजे तक कारसेवकों ने विवादित ढांचे के मलबे को भी साफ कर दिया था, कारसेवकों ने एक ओटला बना दिया, जहां रामलला को स्थापित किया गया और शयन आरती की गई.
6 दिसंबर का वो दिन...
इस दौरान पूरी अयोध्या में राम नाम की गूंज सुनाई दे रही थी आर्मी के हेलीकॉप्टर पल-पल की खबर दिल्ली पहुंचा रहे थे, 6 दिसंबर को अयोध्या में इतने कारसेवक थे कि यदि पुलिस फायरिंग करती तो पुलिस की गोलियां कम पड़ जाती लेकिन कारसेवक खत्म नहीं होते राम जन्म भूमि के लिए पूरी जवानी खपा दी और आज जब प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है, तो अंतरात्मा में शांति की अनुभूति प्राप्त हो रही है. कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है इच्छा तो ऐसी हो रही है कि अभी रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या के लिए निकल जाऊं.
6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में विवादित ढांचा कार सेवकों द्वारा गिरा दिया गया था. तो उसके बाद अयोध्या सहित देश में दिवाली मनाई गई थी. अयोध्या के लोगों ने घर-घर भंडारा कर लाखों कारसेवकों को भोजन कराया गया था.