शाजापुर। देश में कई प्रकार की परंपराएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनको लेकर लोगों में त्योहार के समय जबरदस्त उत्साह देखने मिलता है. मालवा क्षेत्र में दीपावली के समय एक गान होता है जिसे 'हीड गायन' कहा जाता है.
हीड गायन का इतिहास
शाजापुर। देश में कई प्रकार की परंपराएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनको लेकर लोगों में त्योहार के समय जबरदस्त उत्साह देखने मिलता है. मालवा क्षेत्र में दीपावली के समय एक गान होता है जिसे 'हीड गायन' कहा जाता है.
हीड गायन का इतिहास
ग्रामीणों का कहना है कि हीड गायन की शैली काफी प्राचीन है, इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं. जब 24 भाई बगड़ावत भाई गायों को चराने जाते थे. वो सभी काफी वीर थे. राजा से विवाद के बाद सभी भाईयों की मौत हो गई. जिसके बाद से उनके वीरता की कहानी अलग-अलग गाई जाती है.
मालवा के इन क्षेत्रों में होता है गायन
रक्षाबंधन से दीपावली तक चलने वाला यह गायन प्रदेश के कई जिलों में होता है. हीड गायन उज्जैन, देवास, शाजापुर, रतलाम, राजगढ़, खंडवा, खरगोन और आसपास के सभी जिलों के गांवों में आज भी एक परंपरा के रूप में मनाया जाता है. जिसमें रात में गांव के सभी लोग बैठकर गायन करते हैं.