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हाई प्रोफाइल हो गई ये लोकसभा सीट, जानिए आखिर क्यों इस पर रहती है दिग्गजों की नज़र

लोकसभा चुनाव में जहां कई सीटों पर मुकाबला जोरदार होने वाला है, वहीं शहडोल लोकसभा सीट का अपना अलग ही अंदाज है. जहां यह पता नहीं लगाया जा सकता कि कौन सी पार्टी जीत हासिल करेगी और किसे हार का स्वाद चखना पड़ेगा. वहीं इस बार दोनों ही पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों पर दांव खेला है.

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Published : Mar 28, 2019, 7:23 PM IST

शहडोल

शहडोल। शहडोल लोकसभा सीट में हर बार रोचक घमासान देखने को मिलता है. यह एक आदिवासी सीट है. इस लोकसभा सीट का आलम यह है कि जनता का मूड किस ओर जाएगा ये कयास लगाना भी मुश्किल नज़र आ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि इस सीट में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां जीत हासिल करती आई हैं. वहीं इस बार दो महिला प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है.


शहडोल लोकसभा सीट में ऐसा पहली बार हुआ है बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. बीजेपी ने जहां हिमाद्रि सिंह को टिकट दिया गया है, तो कांग्रेस ने प्रमिला सिंह पर दांव खेला है.इस बार शहडोल लोकसभा सीट में करीब 16,46,230 वोटर हैं, जिसमें 8,43,476 पुरुष मतदाता हैं, तो वहीं 8,02,732 महिला और 22 अन्य मतदाता हैं.

शहडोल लोकसभा सीट में हैं 8 विधानसभा सीट
शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी वोटर्स के हिसाब से अहम मानी जाती है. इस लोकसभा सीट में टोटल 8 विधानसभा सीट हैं. जिसमें अनूपपुर जिले की तीन विधानसभा सीट, अनूपपुर, कोतमा और पुष्पराजगढ़ शामिल है. इसके अलावा शहडोल से दो विधानसभा सीट जयसिंहनगर और जैतपुर शामिल हैं. वहीं उमरिया के दोनों विधानसभा और कटनी की एक विधानसभा सीट बड़वारा शामिल है.

जानिए शहडोल लोकसभा सीट के बारे में


इन 8 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के 4-4 विधायक हैं जीते
अनूपपुर की जहां तीनों विधानसभा सीट, और कटनी के एक बड़वारा सीट से कांग्रेस ने बाजी मारी. वहीं शहडोल की दो विधानसभा सीट और उमरिया की 2 विधानसभा सीट से बीजेपी ने बाजी मारी थी. इसका मतलब साफ है अगर शहडोल लोकसभा सीट में विधायकों के हिसाब से नज़र डालें तो दोनों ही पार्टी बराबरी पर है.

यह जानना होगा दिलचस्प
हिमाद्रि सिंह ने 2016 में कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा था वहीं इस बार वे बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ रही हैं. तो वहीं प्रमिला सिंह जो कभी बीजेपी से विधायक रह चुकी हैं इस बार कांग्रेस के टिकट से चुनावी मैदान में हैं. इतना ही नहीं हिमाद्री सिंह ने साल 2017 में बीजेपी के नरेंद्र मरावी से शादी की है. नरेंद्र मरावी वहीं नेता हैं जिन्हें साल 2009 के चुनाव में हिमाद्री की मां राजेशनंदिनी ने हराया था.

एक्सपर्ट की राय में कभी किसी का गढ़ नहीं रहा शहडोल
राजनीतिक जानकर सुशील सिंघल का कहना है कि शहडोल लोकसभा सीट में कांग्रेस बीजेपी दोनों ही पार्टियों का वर्चस्व रहा है. एक चुनाव के बाद पार्टी बदलती नजर आई है. एक तरह से देखा जाए तो शहडोल संसदीय क्षेत्र किसी का गढ़ नहीं रहा है. यहां का मतदाता समय के हिसाब से पार्टी चुनता रहा है. इस क्षेत्र में जब भी किसी पार्टी का प्रत्याशी जीता है तो उस पार्टी नेतृत्व की वजह से, न कि किसी लोकल कंडीडेट की वजह से जीता है.

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