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गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए शहडोल संभाग में नहीं है कोई व्यवस्था, मेडिकल कॉलेज से बंधी है लोगों की आस

शहडोल संभाग में अगर कोई गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो उसे आज भी बिलासपुर, जबलपुर या फिर नागपुर में ही इलाज कराना पड़ता है. लेकिन मेडिकल कॉलेज शुरू होने से लोगों को आस बंधी है की शायद इस आदिवासी अंचल में अब स्वास्थ्य व्यस्वस्थाएं सुधर जाएंगी.

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Published : Jul 15, 2019, 9:54 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 11:18 PM IST

गंभीर बिमारियों के इलाज के लिए शहडोल संभाग में नहीं है कोई व्यवस्था

शहडोल| जिले में मेडिकल कॉलेज खुलने के साथ ही स्थानीय लोगों अब ये उम्मीद जगी है कि अब उनको अपने संभाग में ही सभी तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगेंगी, मरीजों को कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा. शहडोल संभाग में अगर कोई गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो उसे आज भी बिलासपुर, जबलपुर या फिर नागपुर में ही इलाज कराना पड़ता है. उसकी सबसे बड़ी वजह है आदिवासी अंचल में इलाज के लिए दुरुस्त व्यवस्था नहीं होना.

गंभीर बिमारियों के इलाज के लिए शहडोल संभाग में नहीं है कोई व्यवस्था

शहडोल संभाग के लोगों का कहना है कि अभी भी गंभीर बीमारियों के इलाज लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि अगर कोई एक्सीडेंटल फ्रेक्चर भी हो जाए तो भी बेहतर इलाज के लिए लोगों को दूसरे शहरों में जाना पड़ता है. जिला अस्पताल से लेकर ग्रामीण और ब्लॉक में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिविल अस्पताल हर जगह डॉक्टर्स की कमी है.

सीएमएचओ डॉक्टर राजेश पांडेय का कहना है कि 50 फीसदी से भी ज्यादा डॉक्टर्स के पद खाली हैं, फिलहाल एक डॉक्टर को दो जगह की जिम्मेदारी देकर काम चलाया जा रहा हैं. शहडोल सम्भाग में मेडिकल कॉलेज शुरू होने से लोगों को आस बंधी है.

Last Updated : Jul 15, 2019, 11:18 PM IST

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