शहडोल। जिले के आदिवासी अंचल में स्कूली बच्चे सबम्यूकस फाइब्रोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित हो रहे है. इस बीमारी को लेकर अभिभावकों को अलर्ट किया जा रहा है. बच्चों में जिस तरह से गुटखा, पान मसाला और तंबाकू खाने की लत लग रही है उससे इस बीमारी के खतरे के बढ़ने की आशंका है.
खतरनाक बिमारी की चपेट में स्कूली बच्चे जानिए क्या है सबम्यूकस फाइब्रोसिस बीमारी
डॉक्टर जीएस परिहार बताते हैं कि सबम्यूकस फाइब्रोसिस में मुंह का खुलना कम हो जाता है, जिसको भी सबम्यूकस फाइब्रोसिस हो जाता है जो गाल की मासपेसियां हैं उसकी इलास्टिसिटी कम हो जाती है, जिससे मुंह कम खुलने लगता है. जिसके चलते पीछे के दांत गालों में दिक्कत करने लगते हैं और फिर वहां पर अल्सर क्रिएट होता है. जिसके चलते कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
सबम्यूकस फाइब्रोसिस का न तो मेडिकली, और न ही सर्जिकली कोई ट्रीटमेंट हैं, दवाइयों से भी राहत नहीं मिल सकती है. डॉक्टर के मुताबकि इस गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जिंदगी भर कैंसर से जूझना पड़ेगा, इसलिए युवा पीढ़ी को गुटखा, तम्बाखू से बचाएं।
यहां स्कूल के बच्चों में ज्यादा फैल रहा
डॉक्टर जीएस परिहार बताते हैं कि सबम्यूकस फाइब्रोसिस नामक बीमारी इस अंचल के स्कूल के बच्चों में पिछले कुछ साल से ज्यादा देखने को मिल रही है. डॉक्टर के मुताबिक सबम्यूकस फाइब्रोसिस से पीड़ित पहले स्कूली बच्चे नहीं होते थे ,लेकिन आजकल हो रहे हैं, 9वीं 10वीं के छात्रों में सबम्यूकस फाइब्रोसिस डेवेलोप हो रहा है
मुंह कैंसर की संख्या बढ़ी है
डॉक्टर जीएस परिहार के मुताबिक जितने भी मरीज शहडोल क्षेत्र में भी मुख कैंसर के बहुत से पाए जाते हैं, मुख कैंसर तम्बाखू से फैलता है कुछ नेकलिजेंसी से भी फैलता है. मुख्य कारण तंबाकू है जो रात में लोग एक ही जगह दबा कर सो जाते हैं उससे मुख कैंसर डेवेलप हो जाता है.हेल्थ सर्वे के मुताबकि जितने भी कैंसर हैं उसमें मुख का कैंसर 40 प्रतिशत हो रहा है. मतलब बाकी ज्यादा कैंसर से मुख के कैंसर के मरीज ज्यादा हैं और उसका मुख्य कारण गुटखा, तम्बाखू और सुपारी है.