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MP के इस जिले में नहीं है एक भी गौशाला. दावों के उलट खुले में घूमते गोवंश बन रहे लोगों के लिए परेशानी का सबब - shahdol cow shed

MP में गौशालाओं का हाल-बेहाल है. दावे खूब हैं लेकिन हकीकत में गोवंश की सेवा के दावे हवा-हवाई हैं. शहडोल में गोवंश के लिए एक भी गौशाला आज तक सुचारु तरीके से नहीं खुल सकीं. आवारा मवेशियों से किसान और आम लोग दोनों ही परेशान हैं और खुद इन मवेशियों की जान पर खतरा मंडराता रहता है. देखिए पूरी रिपोर्ट...

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गौशाला रियलिटी चेक

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Published : Dec 13, 2020, 1:08 PM IST

शहडोल। आवारा मवेशी किसानों और आम लोगों दोनों के लिए ही मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं. शहडोल जिले में अब तक एक भी गौशाला का संचालन व्यवस्थित तौर पर नहीं हो सका है, जिसको लेकर ईटीवी भारत की टीम गौशालाओं का रियलिटी चेक करने पहुंची. हकीकत चौकाने वाले थे...

कहने को तो शहडोल में लाखों रुपए की लागत से बनी कुछ गौशालाएं तैयार हो चुकी हैं, लेकिन अब तक उनका व्यवस्थित संचालन शुरू नहीं हो सका है, जिससे इन आवारा मवेशियों की वजह से फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. आए दिन राहगीर मवेशियों के चलते चोटिल होते रहते हैं साथ ही कई बार गोवंश भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.

गौशाला रियलिटी चेक
आवारा पशु बढ़ा रहे परेशानीमौजूदा समय में हालात ऐसे हो चुके हैं कि आवारा मवेशी किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं. शहर हो या गांव हालात समान हैं. गांव में इस तरह के हालात बनने से आलम यह है कि किसानों की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं इन मवेशियों के चलते लोग भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. वहीं इसके विपरित मवेशियों को भी कई बार चोट लगती है और वो दुर्घचना का शिकार हो जाते हैं. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए शहर के आस पास गौशालाओं का संचालन जल्द शुरू करने की जरूरत है.भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह बताते हैं कि, आवारा मवेशियों के प्रबंधन के लिए शासन की ओर से जो गौशालाएं स्थापित की जा रही हैं. उनका संचालन जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा होगा, क्योंकि अब रबी सीजन की खेती शुरू हो चुकी है. इसलिए इन फसलों को ज्यादा नुकसान हो सकता है. भानु प्रताप सिंह बताते हैं कि आवारा मवेशियों का इतना बड़ा झुंड है, जिन्हें कंट्रोल करना कठिन होता है. जिला मुख्यालय से ही लगा हुआ विचारपुर गांव है. यहां पर आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से मवेशियों का झुंड रहता है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं.गौशालाओं की स्थितिमनरेगा के परियोजना अधिकारी राहुल सक्सेना बताते हैं कि जिले को शासन की ओर से साल 2019-2020 में 56 गौशालाओं का टारगेट दिया गया था. वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 8 गौशाला आवंटित की गईं, जिसमें से 7 गौशालाएं पूर्ण हो चुकी हैं. साल 2020-21 में भी 8 गौशालाओं को फिर से स्वीकृत कर कार्य शुरू कर दिया गया है. सभी गौशालाएं प्रगति पर है. जल्द ही इन गौशालाओं को भी पूरा कर लिया जाएगा. हालांकि, जो टारगेट बच रहा है, उन गौशालाओं को स्टार्ट करने के लिए जमीन चिन्हित कर कार्यवाई की जायेगी.राहुल सक्सेना बताते हैं कि 7 गौशालाएं पूर्ण हो गई हैं. यहां पर गोवंश को लाने की तैयारी भी पूरी हो चुकी है. कौवासरई, केशवाही, खनौद्धि, बरुका यहां पर तो कुछ गोवंश लाए भी गए हैं फिलहाल अभी ग्राम पंचायत इन गोवंश का ख्याल रख रही है. लेकिन जल्द इनका संचालन एनआरएलएम के सहयोग से स्व सहायता समूह करेंगे. उनके साथ एग्रीमेंट से लेकर के बाकी की कागजी प्रक्रिया पूरी की जा रही है. लगभग 3 से 4 दिन में व्यवस्था दुरुक्त हो जाएगी और सभी सातों गौशालाओं का सुव्यवस्थित तरीके से संचालन शुरू हो जाएगा.यहां गौशाला तैयार, संचालन का इंतजारजिले में कई गौशालाएं पूर्ण हो चुकी हैं, जिनमें बुढ़ार जनपद पंचायत में गिरवा, सोहागपुर में पड़मनिया कला और बरुका गोहपारू में खनौद्धि, जयसिंहनगर में सीधी, कौआसरई और ब्यौहारी जनपद पंचायत अंतर्गत बोडडीहा शामिल हैं. बुढ़ार जनपद के गिरवा में गौशाला निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है. हांलाकि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी अभी तक किसी भी गौशाला का व्यवस्थित तरीके से संचालन शुरू नहीं हो पाया है.एक गौशाला में 100 मवेशी रखने की व्यवस्थाएक गौशाला में 100 मवेशियों को रखने की व्यवस्था की गई है. इस हिसाब से पशु शेड बनाए गए हैं. बछड़ों को रखने के लिए अलग से स्थान बनाया गया है. वर्मी कंपोस्ट के लिए यूनिट बनाया गया है. पानी के लिए बोर, तो वहीं चारा रखने के लिए बड़े गोदामों का भी निर्माण किया गया है. इसके अलावा करीब 5 एकड़ में चरनोई भूमि भी बनाई गई है, जहां पशुओं के लिए चारे की खेती होगी. साथ ही पशुओं की देखरेख के लिए चौकीदार का कक्ष भी बनाया गया है.जानिए कितने रुपये में तैयार हो रही एक गौशालाजिले में जो 7 गौशाला पूर्ण हो चुकी हैं. इन्हे बनाना की लागत लगभग साढ़े 27 लाख रुपए आई है. वहीं अब बाकी जितनी भी गौशालाएं बनेंगी, उनका बजट बढ़ा दिया गया है.स्व-सहायता समूहों के हांथो में होगी कमान

गौशाला के संचालन में एजेंसी ग्राम पंचायत ही रहेगी, लेकिन इसका संचालन एनआरएलएम के स्व-सहायता समूहों के माध्यम से किया जाएगा. इसका भुगतान मनरेगा से होगा. स्व-सहायता समूहों के माध्यम से गौ-सेवा के संचालन का उद्देश्य उनकी आय बढ़ाना भी है. गौशाला में कंपोस्ट गोबर से बनने वाले उत्पाद और गो-मूत्र के उत्पादों से समूह की अतिरिक्त आय हो सकती है. स्व-सहायता समूह ही इनके खान-पान की व्यवस्था करेंगे.

जिले भर में आवारा मवेशियों से किसान और आम पब्लिक परेशान है. उनकी संख्या भी दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है. साल दर साल इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर लाखों रुपये की लागत से बनकर गौशाला भी तैयार हैं, लेकिन अब भी तक इनके संचालन शुरू होने का इंतजार है.

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