शहडोल। शहडोल जिला अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ चुका है. इस मामले को लेकर एक ओर जहां कांग्रेस लगातार बीजेपी को घेर रही है. वहीं दूसरी ओर सिलसिलेवार बच्चों का मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. 26 नवंबर से 7 दिसंबर तक शहडोल जिला अस्पाल में अब तक 18 बच्चों की मौत हो चुकी है. इन बच्चों को मौत के मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी शहडोल जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे, जहां का जायजा लेने के बाद उन्होंने जिला अस्पताल को क्लीन चिट दे दी है. साथ ही जिला अस्पताल में 20 बेड का एक और SCNU (Special Care Newborn Unit) वार्ड बनाने की बात कही.
हमारा प्रयास हर बच्चे को बचाना है
स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी शहडोल जिला अस्पताल के निरीक्षण के बाद मीडिया से रूबरू हुए. सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौत के मामले को लेकर उन्होंने कहा कि अस्पताल में 20 बेड का एक SCNU पहले से था. अब एक और 20 बेड का SCNU दे दिया गया है. ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य विभाग का अमला, ANM और आशा कार्यकर्ता, घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं. वे पूछ रहे हैं कि कहीं कोई बच्चा किसी के घर में बीमार तो नहीं हैं. सर्दी से पीड़ित तो नहीं है. जिससे तुरंत उस लेवल पर उनका इलाज किया जा सके.
की जा रही हैं पूरी कोशिशें
मंत्री प्रभुराम चौधरी ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में प्राइमरी तौर पर जो संसाधन दे सकते हैं वो उपलब्ध कराए जा रहे हैं. साथ ही जो प्राथमिक तौर पर पीड़ित है, उन्हें जल्दी अस्पताल पहुंचाया जाए, अस्पताल में उसका प्रॉपर ट्रीटमेंट गाइडलाइन के तहत हो, वहां की आवश्यकताओं को हम पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. रही बात संख्या की तो मैं उसमें नहीं जाता. हम ये जानते हैं की हमारे लिए हर बच्चा महत्वपूर्ण है और हमारा प्रयास हर बच्चे को बचाने का है.
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जिला अस्पताल को मंत्री ने दी क्लीन चिट
स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने जायजा लेने के बाद जिला अस्पताल को क्लीन चिट दे दी है. उन्होंने कहा कि जो बच्चे अस्पताल में आए उन्हें प्रॉपर ट्रीटमेंट दिया गया है. जांच दल की रिपोर्ट से ये क्लीयर हो गया है. यहां जिन बच्चों को वेन्टीलेटर की आवश्यकता थी तो उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. जिन्हें हाई डोज एंटीबायोटिक की जरूरत थी उनको एंटी बायोटिक भी दिया गया. अब कुछ बच्चे तो ऐसे थे जो कि पैदा होते ही सांस नहीं ले पा रहे थे. कोशिश की गई कि वे सांस ले सकें और उन्हें बचाया जा सके. कुछ बच्चों को दिमागी बुखार था. डॉक्टर पूरा प्रयास कर सकता है, पूरी कोशिश कर सकता है. व्यवस्थाएं जो हमारी हैं उसमें कोई कमी न रहे. अब आने में कहीं से देरी हो रही है तो उसके लिए भी हम गांव-गांव पर टीम भेज रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में डोर टू डोर सुर्वे हो रहा है.
NHM(National Health Mission) की डायरेक्टर खुद मैदान में हैं