शहडोल। बदलते वक्त के साथ जहां एक ओर कौओं की संख्या दिनों दिन घटती जा रही है, या यूं कहें की कौओं की प्रजाति विलुप्ति की कगार पर आ चुकी है, लेकिन इस दौर में भी एक व्यक्ति ऐसा है जो पिछले 26 साल से हर दिन सुबह-सुबह सैकड़ों कौओं को खाना खिलाता है, आलम यह है कि यहां अब कौओं की संख्या घटने की बजाय दिनों दिन बढ़ती जा रही है. ये हैं शहडोल के गिरधारी लाल गुप्ता, जिनके हर दिन मंदिर पहुंचते ही कौए कांव-कांव करते करते उसके पीछे-पीछे घूमने लगते हैं.
यहां लगता है सैकड़ों कौओं का जमावड़ा
शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 15 से 20 किलोमीटर दूर है सिंहपुर ग्राम पंचायत और यहीं के रहने वाले हैं गिरधारी लाल गुप्ता जो हर दिन सुबह-सुबह सिंहपुर गांव में स्थित प्रसिद्ध मंदिर काली माता मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं, और अपने साथ में कौओं के लिए उनका प्रिय भोजन लेकर आते हैं. गिरधारी लाल गुप्ता बताते हैं कि वो हर दिन सुबह सुबह आकर पहले माता रानी के दर्शन करते हैं और फिर उसके बाद कौओं को नमकीन बिस्किट और नमकीन हर दिन खिलाते हैं. वे बताते हैं कि करीब डेढ़ किलो नमकीन वे रोजाना कौओं को खिलाते हैं. यह सिलसिला पिछले कई सालों से चलता आ रहा है.
26 साल से चला आ रहा है सिलसिला
गिरधारी लाल गुप्ता बताते हैं कि पिछले 26 साल से यह सिलसिला चला आ रहा है. उन्होंने सन 1995 से इसकी शुरुआत की थी. गिरधारी लाल गुप्ता कहते हैं कि जब वह मंदिर आया करते थे तो उन्होंने देखा यहां पर काफी पक्षी रहते थे, इसलिए उन्हें दाना देना शुरू कर दिया, लेकिन धीरे-धीरे देखा कि यहां पर कौओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और फिर उन्होंने उनके पसंद का खाना लाना शुरू कर दिया. गिरधारी लाल गुप्ता कहते हैं कि कौए नमकीन ज्यादा पसंद करते हैं इसलिए वह हर दिन करीब डेढ़ किलो नमकीन लेकर आते हैं. साथ में बिस्किट भी डाल देते हैं और जो कुछ भी उनके खाने के लिए रहता है वह भी डाल देते हैं गिरधारी लाल गुप्ता कहते हैं कि कौए ही नहीं साथ में कबूतर, मैना जैसे पक्षी भी यहा रहते हैं, लेकिन कौओं की संख्या सैकड़ों में रहती है.
सैकड़ों कौओं का लगता है जमावड़ा
एक ओर जहां कौए बदलते वक्त के साथ विलुप्त होते जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर आप यहां आकर देखेंगे, तो ऐसा लगेगा कि यहां कौओं की संख्या में हर दिन लगातार बढ़ती जाती है. खुद गिरधारी लाल गुप्ता बताते हैं कि पहले जब वो यहां कौओं को खाना देते थे तो उनकी संख्या कम थी लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी नहीं पता था कि यह संख्या सैकड़ों में पहुंच जाएगी. गिरधारी लाल गुप्ता कहते हैं कि 200 से ढाई सौ कौए हर दिन यहां खाने के लिए पहुंचते हैं और कभी-कभी तो 300-400 भी यह संख्या हो जाती है.