शहडोल। किसान परिवार कल्याण संगठन ने आज कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा है. किसान परिवार कल्याण संगठन ने ये ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम सौंपा है और केंद्र सरकार के फैसलों का विरोध किया है. किसान परिवार कल्याण संगठन के मुताबिक केंद्र सरकार ने 3 जून 2020 को जो तीन अध्यादेश लाए गए हैं, वे पूरी तरह भारतीय कृषि और किसान मजदूरों के साथ-साथ देश हित में नहीं हैं, जिसका किसान परिवार कल्याण संगठन ने विरोध जताया है.
किसान परिवार कल्याण संगठन ने सौंपा ज्ञापन, केंद्र सरकार के फैसलों पर जताई नाराजगी
शहडोल में किसान परिवार कल्याण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अरुण तिवारी ने किसानों के साथ मिलकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा है. साथ ही उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार के फैसलों से किसान नाखुश हैं.
किसान परिवार कल्याण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अरुण तिवारी का कहना है कि, ये 3 अध्यादेश किसानों के लिए पारित किए गए हैं. वो किसान विरोधी हैं, इसलिए इसका विरोध जता रहे हैं. तीन अध्यादेश जिसे सरल भाषा में समझें, तो पहला है. मंडियों को समाप्त करना, दूसरा है किसानों की भूमि को कॉन्ट्रैक्ट पर देना और तीसरा है समर्थन मूल्य को बंद करना. तिवारी का कहना है कि, अगर ये तीनों अध्यादेश देश में लागू हो गए तो किसान रोड पर आ जाएगा. इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है.
किसान परिवार कल्याण संगठन का कहना है कि, हमारे देश की लगभग दो-तिहाई आबादी कृषि पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से खेती से अपनी आजीविका चलाती है. विश्व व्यापार संगठन के दबाव में लाए गए उक्त तीनों ही अध्यादेश भारतीय कृषि और किसानों के हित में नहीं हैं. हमारे देश में कृषि व्यवसाय नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है, इन आध्यादेशों से ग्रामीण भारत का ताना-बाना ग्रामीण संस्कृति विलुप्त हो जाएगी. ऐसा करने से बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हस्तक्षेप हमारी कृषि पर बढ़ जाएगा. कृषि का पूर्ण रूप से व्यवसायीकरण होने की संभावना है, जिससे आगे चलकर हमारी खाद्यान्न सुरक्षा और हमारे स्थानीय बीजों के संरक्षण को खो देने का खतरा बढ़ जाएगा.