शहडोल। शहडोल जिला अस्पताल में इन दिनों लगातार सुर्खियों में है. इसकी वजह है यहां सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौत का हो रही है. ऐसे में ईटीवी भारत शहडोल जिला अस्पताल में रियलिटी चेक करने पहुंचा. जिससे यह पता चल सके कि जिला अस्पताल के क्या हालात हैं. यहां प्रॉपर लाइट,वेंटिलेटर और आक्सीज की व्यवस्था है या नहीं. डॉक्टर और स्टॉफ वक्त पर अस्पताल पहुंच रहे हैं या मठीक हैं लाइट सब कुछ है, लेकिन डॉक्टर समय से नहीं आ रहे हैं और कुछ भी क्लियर क्लियर बात नहीं कर रहे हैं. जिससे उनके मरीजों को तकलीफ होती है.
अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर सिविल सर्जन से सीधे सवाल
सवाल-शहडोल जिला चिकित्सालय में लाइट को लेकर क्या व्यवस्था है ?
जवाब- सिविल सर्जन ने कहा यहां पर पूरी तरह से लाइट की सभी सुविधाएं हैं. अंदर हॉस्पिटल में ट्रांसफार्मर है और इमरजेंसी में अगर लाइट जाती है तो हमारे पास दो सुविधाएं पावर बैकअप है. चार जनरेटर है, जिसमें 25- 25 केवी के दो और 15-15 किलो वाट के दो जनरेटर है. एक जनरेटर अभी है. वहीं एक और जनरेटर आर्डर हो जाएगा. उसके लिए कलेक्टर ने पैसे दिए हैं तो अब टोटल पांच जनरेटर जिला अस्पताल में हो जाएंगे. सभी जनरेटर प्रॉपर काम कर रहे हैं. वहीं हमारे पास दूसरा ऑप्शन सोलर सिस्टम भी लगा हुआ है. जो कि पूरे अस्पताल में सप्लाई देता है, ऐसा किसी भी तरह की पावर बैकअप की कोई कमी नहीं है.
जिला अस्पताल का रियलटी चेक सवाल-वेंटिलेटर की क्या स्थिति है ?
जवाब-अस्पताल में 15 वेंटिलेटर हैं, जिसमें एसएनसीयू में तीन, पीआईसीयू में चार हैं, आईसीयू में चार हैं और एचडीयू में दो हैं, आईसीयू में एक है, और सर्जिकल ओटी में एक है. इस तरह से हमारे पास में टोटल 15 वेंटिलेटर है.
सवाल- एसएनसीयू और पीआईसीयू में और क्या व्यवस्था है बढ़ाई गई हैं ?
जवाब- वहां की व्यवस्थाएं अभी और दुरुस्त की गई है. वहां दो और वार्मर उपलब्ध कराए गए हैं, वार्मर की कमी थी क्योंकि अभी बच्चे ज्यादा आ रहे हैं और वार्मर कम थे. तो वार्मर बढ़ गए हैं, दो और वार्मर इंस्टॉल हो चुके हैं. पीआईसीयू में भी सारी चीजें वेंटिलेटर चार रख दिए हैं. 4 वेंटिलेटर पीआईसीयू में है, तो संसाधन की कोई कमी नहीं है. दवाई सभी उपलब्ध है और चिकित्सकों की भी कोई कमी नहीं है. चिकित्सकों की भी बाहर से ड्यूटी लगा दी गई है.
पढ़ें:शहडोल जिला अस्पताल में नहीं थम रहा बच्चों की मौत का सिलसिला, 24 पहुंचा मौत का आंकड़ा
सवाल- एंबुलेंस की कमी की बात सामने आई थी, ईटीवी भारत से कुछ परिजनों ने यह बात कही थी एंबुलेंस की क्या स्थिति है ?
जवाब-सिविल सर्जन ने कहा कि आते ही सबसे पहले 108 एंबुलेंस को डेडीकेटेड कर दिया है कि एसएनसीयू और पीआईसीयू के लिए की कोई भी बच्चा अगर गंभीर होता है तो एंबुलेंस तत्काल उसको लेकर वहां जाएगी. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल के पास एक एंबुलेंस है, इसके अलावा कलेक्टर के निर्देश दिए हुए हैं. बिना एंबुलेंस आप बिल्कुल किराए से लेकर के भेज देंगे. कलेक्टर ने कहा कि रेड क्रॉस या रोगी कल्याण से हमें पेमेंट करने के निर्देश भी दिए गए हैं. इस तरह से एंबुलेंस कि हमारे पास कोई कमी नहीं है. दूसरा अभी एडवांस लाइफ सपोर्ट की एम्बुलेंस भी अभी व्यवस्था हो चुकी है. अब उसका आर्डर जल्द से एक दो दिन में हो रहा है.
पढ़ें:जिला अस्पताल की बड़ी लापरवाही, प्रसूता को जमीन पर बितानी पड़ी रात
सवाल-अस्पताल में ऑक्सीजन को लेकर क्या स्थिति है ?
जवाब-ऑक्सीजन पूरी तरह से कोई कमी नहीं है हमारे पास पर्याप्त सेंट्रल ऑक्सीजन भी है और सिलेंडर भी हैं पर्याप्त ऑक्सीजन है इसकी कोई कमी नहीं है.
सवाल-कोई उपकरण जो लंबे समय से बिगड़ा हुआ हो, उसे बनाने में लंबे समय से कोई दिक्कत आ रही हो ?
जवाब- नहीं ऐसा कोई भी उपकरण नहीं है हमारे सारे उपकरण चालू है और सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं.
बता दें शहडोल जिला चिकित्सालय के रियलिटी चेक के दौरान जहां अस्पताल में भर्ती मरीज और उनके परिजनों ने लाइट ऑक्सीजन और व्यवस्थाओं को तो सही बताया. तो कुछ परिजनों ने डॉक्टर्स के सही समय पर ना आने पर नाराजगी भी जताई. तो वहीं सिविल सर्जन ने सारे व्यवस्थाओं को दुरुस्त बताया है. ऑक्सीजन वेंटिलेटर की उपलब्धता बताई है.
वहीं पिछले कुछ दिन में शहडोल जिला चिकित्सालय में हुई कुछ घटनाएं कई सवाल भी खड़े करती हैं. अभी हाल ही में शहडोल जिला अस्पताल में एक प्रसूता महिला को बेड नहीं मिल पाया. जिसकी वजह से उसे रातभर फर्श पर गुजारना पड़ा, तो वहीं कुछ दिन पहले ही ईटीवी भारत ने दिखाया था कि किस तरह से एक बच्ची को पोस्टमार्टम के लिए बाइक पर उनके परिजनों को लेकर जाना पड़ा. इसके अलावा एक-दो दिन के दौरान अस्पताल के भ्रमण के दौरान कुछ ऐसे लोग भी मिले. जिन्होंने बताया कि यहां स्ट्रेचर की कमी है तो जिला चिकित्सालय में पिछले कुछ दिन में हाल-फिलहाल जो इस तरह की समस्याएं देखने को मिली. वो यहां की व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े करती है.
अब तक 23 बच्चों की हो चुकी है मौत
गौरतलब है कि शहडोल जिला चिकित्सालय में पिछले 26 नवंबर से लेकर 13 दिसंबर तक टोटल 20 बच्चों की मौत हुई थी. जबकि जिले में इस दौरान सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौत का आंकड़ा 24 हो गया है. बच्चों की मौत का मामला प्रदेश में सुर्खियों में रहा. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी निरीक्षण करने के लिए शहडोल जिला चिकित्सालय पहुंचे थे. जहां उन्होंने सीएमएचओ और सिविल सर्जन को भी पद से हटाने के निर्देश दिए थे. उसके बाद जिला अस्पताल में सिविल सर्जन और सीएमएचओ को भी प्रभार से हटा दिया गया है. नए सीएमएचओ और सिविल सर्जन भी पदस्थ कर दिए गया है.