शहडोल। शहडोल जिला चिकित्सालय सिलसिलेवार तरीके से बच्चों की मौत के मामले को लेकर सुर्खियों में है. मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि डॉक्टरों के सिविल सर्जन के विरोध को लेकर फिर से हालात खराब होने लगे हैं. सिविल सर्जन को प्रभार से हटाने के लिए जिला चिकित्सालय के करीब 20 डॉक्टरों ने सीएमएचओ ऑफिस में सामूहिक त्यागपत्र भी सौंप दिया था. लेकिन तमाम प्रयासों के बाद सिविल सर्जन के 7 दिन की छुट्टी पर जाते ही आज शहडोल जिला चिकित्सालय के डॉक्टर जो लगातार विरोध कर रहे थे काम पर लौट आए हैं.
जिला चिकित्सालय में आज से डॉक्टर्स ने इमरजेंसी सेवाएं भी देने की शुरुआत कर दी. डॉक्टर अपने ड्यूटी के हिसाब से पेशेंट भी देखते नजर आए तो ही कुछ डॉक्टर वार्ड निरीक्षण करते नजर आए.
सिविल सर्जन के छुट्टी पर जाते ही लौटे डॉक्टरबीते गुरुवार को सिविल सर्जन अचानक सात दिनों के लिए छुट्टी पर चले गए. कारण बताया गया कि वह अपने पारिवारिक कारणों से 7 दिन के लिए छुट्टी पर जा रहे हैं. इसके बाद जैसा की कयास लगाया जा रहा था रात में ही सीएमएचओ ने सभी डॉक्टर्स जो विरोध कर रहे थे उन डॉक्टरों की मीटिंग ली. सभी डॉक्टरों को वापस काम पर लौटने के लिए कहा गया और उसी के मुताबिक चिकित्सक काम पर लौट आए.
क्या सब कुछ ठीक हो गया है? इस मामले में सीएमएचओ डॉक्टर एमएस सागर ने कहा कि सभी चिकित्सक वापस लौट चुके हैं. समस्या का समाधान हो चुका है. इमरजेंसी में ऑपरेशन भी किए हैं, ड्यूटी भी कर रहे हैं और पेशेंट भी देख रहे हैं. सिविल सर्जन को लेकर कहा कि वह अपने पर्सनल काम से छुट्टी पर गए हैं. बाकी सभी चिकित्सक अपनी ड्यूटी पर हैं. लेकिन इस सवाल को वो टाल गए कि क्या जब सिविल सर्जन वापस आएंगे तो हालात फिर नहीं बिगड़ेंगे?
अनकंडीशनल है वापसी
सिविल सर्जन का विरोध कर रहे डॉक्टर डीके सिंह ने कहा की कोई कंडीशन नहीं है. सीएमएचओ ने समझाया था इसलिए हम लोग वापस आकर काम कर रहे हैं. उन्होंने हमें कुछ चीजें समझाई हैं, वह बातें हमें समझ में आ गई और हम काम पर लौट चुके हैं. अपने किए को चिकित्सक अब भूल बता रहे है. अगर छुट्टी से लौटने के बाद फिर सिविल सर्जन अपना पद संभालते हैं तो क्या आप काम करेंगे? इस सवाल पर उनका कहना था अगर शासन-प्रशासन चाहेगा तो काम करेंगे. उनके अंडर में काम करने में भी समस्या नहीं है.
क्या था पूरा मामला
शहडोल जिला चिकित्सालय में उस समय डॉक्टर और सिविल सर्जन के बीच विरोध शुरू हुआ जब सिविल सर्जन का प्रभार दंत चिकित्सक डॉक्टर जी एस परिहार को दिया गया. उसके बाद से ही करीब 20 डॉक्टर इस बात पर अड़ गए थे कि वह एक दंत चिकित्सक के अंडर में काम नहीं करेंगे. उनही जगह किसी एमबीबीएस या दूसरे सीनियर डॉक्टर को सिविल सर्जन का पद दिया जाए.
इस बात को लेकर काफी विरोध हुआ जो अब थमता नजर आ रहा है. पहले ज्ञापन दिया गया लेकिन उसके बाद जब बात नहीं मानी गई तो डॉक्टर के ग्रुप ने सीएमएचओ ऑफिस में जाकर आवक जावक शाखा में अपना त्याग पत्र सौंप दिया. जिला चिकित्सालय में इमरजेंसी काम भी पूरी तरह से बंद कर दिया था. इसके बाद से माहौल और गरमा गया. हालांकि अब एक बार फिर से जिला चिकित्सालय में विरोध करने वाले डॉक्टरों के काम पर वापस लौट आए हैं और मामला ठीक-ठाक होना बताया जा रहा है.