शहडोल। गोवंश आज के समय में राजनीति का सबसे बड़ा विषय बन चुका है. इसे लेकर लगातार राजनीति भी होती रहती है, लेकिन आज आपको ऐसे सच्चे गौ सेवकों से मिलाने जा रहे हैं, जिनकी गौ सेवा के बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे, अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान (Atal Kamdhenu Gau Sewa Sansthan), जहां मवेशियों (Cattle) को भर्ती कर इलाज किया जाता है. अच्छी व्यवस्था देकर उनकी परवरिश की जाती है. ठीक होने तक उन्हें उसी गौशाला (Cowshed) में रखा जाता है.
अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था यहां एडमिट कर मवेशियों का होता है इलाज
आपने इंसानों के लिए अस्पताल (Hospital) तो देखा होगा, जहां गंभीर मरीजों को एडमिट कर उनका इलाज किया जाता है. जिले के कल्याणपुर (Kalyanpur) में एक ऐसा ही अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान (Atal Kamdhenu Gau Sewa Sansthan) है. जहां मवेशियों को एडमिट कर उनका इलाज किया जाता है. ठीक होने तक उन्हें वहीं रखा जाता है. आलम यह है कि इस गौ सेवा संस्थान ने कुछ सालों में ही लगभग 3500 गोवंश और दूसरे जीवों का इलाज किया है. अब स्थिति यह है कि इस गौशाला में युवाओं की टीम ही हर तरह के इलाज करने में ट्रेंड हो चुकी है.
अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था
25 युवाओं की सक्रिय टीम
अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान के फाउंडर गौरव मिश्रा बताते हैं की हमारे संस्थान में अभी सक्रिय सदस्य टोटल 25 युवाओं की टीम है. इसके अलावा हमारे धनपुरी, संजय नगर, अमलाई, देवहरा, पटना, पाली, उमरिया, सिंगरौली, रीवा, हनुमना, त्योंथर, भोपाल के पास सीहोर जिला यहां गौसेवा संस्थान की टीम के माध्यम से जो घायल बीमार एक्सीडेंटल और बाकी पशु हैं. उनके रेस्क्यू का कार्य किया जाता है. सिंगरौली, धनपुरी, उमरिया और शहडोल ये चार शहर हैं. जहां पर घायल एक्सीडेंटल बीमार पशुओं को रेस्क्यू करने के बाद उपचार करने की भी व्यवस्था की गई है. अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था बल्ली और तिरपाल से हुई शुरुआत मिश्रा बताते हैं कि वह 19 जुलाई 2017 को इसका स्थापना दिवस मनाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि 80 फीसदी गाय-बैल लावारिस है, जोकि अगर बीमार हो जाएं, तकलीफ में हों तो इलाज करने वाला कोई नहीं होता. संस्थान के लोग इन जानवरों का उपचार कर देते थे, लेकिन उन्हें अच्छी सुविधाएं नहीं मिल पाती थी, कौवे, कुत्ते परेशान करते थे. तो वह गोवंश ठीक नहीं हो पाते थे. इसे देखते हुए टीम ने एक झोपड़ी बनाकर इसकी शुरुआत की. तिरपाल और बल्ली लगाकर एक गौशाला की शुरूआत की और आज लगभग 4 साल बाद ये वृहद रूप ले चुका है.
खर्च के लिए कहां से आता है इतना फण्ड
फंड को लेकर उन्होंने बताया कि गोवंश के इलाज के लिए पहले खुद से फंड इकट्ठा करके बहुत छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की थी, और फिर इसके बाद सोशल मीडिया को माध्यम बनाया और प्रचार प्रसार करना शुरू किया. लोगों से मदद करने की अपील की जिसके बाद कुछ समाजसेवियों ने आगे बढ़कर मदद करनी शुरू की. अब आलम यह है कि हम अधिक से अधिक गोवंश, जीवों की रक्षा कर पा रहे हैं और यह टोटल काम पब्लिक सपोर्ट से हो पा रहा है. जिसमें समाजसेवियों का बहुत बड़ा योगदान है. अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था
कैसे करते हैं इलाज?
इलाज को लेकर गौरव बताते हैं की इस गौशाला में सबसे ज्यादा गोवंश आते हैं, इसके अलावा दूसरे पशु पक्षी भी अब आने लगे हैं. जहां सभी का इलाज किया जा रहा है. एक तरह से कहा जाए तो गाय, बैल, कुत्ता, बिल्ली, पक्षी यहां पर सबसे ज्यादा गोवंश को लाया जाता है. गाय और बैल सबसे ज्यादा एक्सीडेंट का शिकार होते हैं. जिनमें किसी का सिर फूटा रहता है किसी का पैर टूटा रहता है. इस संस्थान में जो भी जीव आये उसका पूरा इलाज किया जाता है.
पशु चिकित्सालय के डॉक्टर्स से मदद की आस
गौरव मिश्रा बताते हैं कि इस गौ सेवा संस्थान (Gau Sewa Sansthan) में शुरुआत में तो पशु चिकित्सालय (Animal Hospital) के डॉक्टर (Doctor) यहां पहुंचते थे. लेकिन अब धीरे-धीरे उनका यहां आना बंद हो चुका है और अब वह यहां बिल्कुल भी नहीं आते हैं. गौरव मिश्रा का मानना है कि अभी जो उनकी टीम है वह इलाज करती है. तो मान लीजिए कि अभी 70 परसेंट रिकवरी रेट है. अगर पशु चिकित्सालय का कोई डॉक्टर एक राउंड भी दिन भर में लगा जाए तो हो सकता है कि ये रिकवरी रेट 90% तक बढ़ जाए. लेकिन अफसोस बुलाने पर भी यहां कोई नहीं आता.
अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था
अब सरकारी सप्लाई की दवाई मिलनी भी बंद
संस्थान के फाउंडर गौरव मिश्रा आगे बताते हैं पहले तो पशु चिकित्सालय से इलाज के लिए गवर्नमेंट सप्लाई की दवाइयां मिल जाती थी, लेकिन दो-तीन महीने से अब वह भी मिलनी बंद हो चुकी है. जिससे दवाइयों का भी एक्स्ट्रा लोड उनकी गौ सेवा संस्थान (Gau Sewa Sansthan) पर आने लगा है. संस्थान में सिर्फ शहडोल के कल्याणपुर स्थित गौ सेवा संस्थान में अब तक 3552 जीवों का इलाज हो चुका है, जिसमें गोवंश की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके अलावा कुत्ता, बिल्ली और पक्षी इस तरह के जीव भी शामिल हैं, जिनका इलाज इस अटल कामधेनु गौ सेवा संस्थान में किया जा चुका है. इसके अलावा दूसरे ब्रांच के रेस्क्यू को मिला लिया जाए तो लगभग 4000 से ऊपर रेस्क्यू भी किया जा चुका है.
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आधी रात को भी रेस्क्यू के लिए टीम तैयार
संस्थान की टीम अब आधी रात को भी अगर फोन आ जाए तो वहां रेस्क्यू करने पहुंच जाती है. लोग बेझिझक उन्हें सूचना भी देने लगे हैं. अटल गौ सेवा संस्थान के मुताबिक, सबसे ज्यादा केस एक्सीडेंटल आते हैं, क्योंकि बरसात के समय में सूखी जगह की तलाश में सड़कों पर गोवंश बैठते हैं. भले गौशाला बन गई हैं, लेकिन वो सिर्फ कागजों में दिखता है जमीनी स्तर पर नहीं, 80 फीसदी सड़कों पर गोवंश लावारिस हैं.
अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था