सिवनी।जिले के जनपद पंचायत लखनादौन की बटका ग्राम पंचायत से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 13 अज्ञात हितग्राहियों के बैंक एकाउंट में जनपद पंचायत द्वारा 25-25 हजार रूपए डालने का मामला सामने आया है. जिसमें इसकी जानकारी पंचायत और जनपद पंचायत दोनों को नहीं है. वहीं मामला सामने आने पर जवाबदार जांच कराने की बात कह रहे हैं.
आवास योजना के घोटाले में शामिल लोगों को बचाने के लिए लखनादौन जनपद पंचायत सीईओ ने शिकायतकर्ता रोजगार सहायक को नोटिस जारी करते हुए नौकरी से निकालने की चेतावनी दी है. जिसे गलत कदम माना जा रहा है.
पीएम आवास योजना का क्रियान्वयन
साल 2011 के सर्वे के अनुसार आवासहीन व्यक्तियों की पात्रता सूची तैयार हुई है. क्रमबद्ध रूप से पात्र हितग्राहियों का संबंधित पंचायत रजिस्ट्रेशन करती है और जिओ टैगिंग कर हितग्राही के आधारकार्ड, सभी आई डी, आवेदन, शपथपत्र और अन्य दस्तावेज के संकलन के बाद फाइल तैयार कर जनपद पंचायतों को अग्रेषित करती है. इन सभी प्रक्रिया के बाद स्वीकृत होकर जनपद पंचायत पहली किस्त के रूप में 25 हजार, दूसरी, तीसरी किस्त के रूप में 45-45 हजार और अंतिम किस्त में 15 हजार रूपए हितग्राही के बैंक खाते में डाली जाती है.
प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाला
अभी हाल ही में जिस 13 हितग्राहियों के आवास के लिए 25 हजार रूपए दिए जाने का मामला सामने आया है. इसमें ग्राम पंचायत बटका ने ही अपने अधिकारियों की शिकायत की है कि जिन 13 व्यक्तियों के आवास निर्माण के लिए 25-25 हजार दिए गए हैं. उनमें से किसी का भी जिओ टैगिंग नहीं हुआ है और न ही कोई दस्तावेज उपलब्ध है. जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना में बिना जिओ टैगिंग के प्रकरण स्वीकृत नहीं हो सकता. जनपद सीईओ ने भी स्वीकार किया है कि जनपद स्तर पर भी कोई जिओ टैगिंग नहीं हुई है, फिर सवाल ये है कि बिना जिओ टैगिंग के जनपद ने राशि कैसे डाल दी.
मामले में जिन 13 हितग्राहियों के नाम पर राशि स्वीकृत की गई है, इनके नाम दूसरी सूची में अंकित है, जबकी अभी पहली सूची के 68 हितग्राहियों के आवास बनना शेष है, जो इस योजना के लिए पात्र है.
जवाबदार बन रहे अनभिज्ञ
मामले के प्रकाश में आने के बाद पंचायत ने शिकायत कर दी है, लेकिन लखनादौन जनपद जिसने हितग्राहियों के खाते में पैसे डाले हैं वह संस्था पूरी तरह से अनजान बनकर जांच करने की बात कर रही है. इस गड़बड़ी के लिए जवाबदार कई बहाने बनाकर अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता कर्मचारी को नौकरी से निकालने का नोटिस थमाया जा रहा है.