सतना।आदि शक्ति मां शारदा देवी का मंदिर, मैहर नगर के समीप विंध्य पर्वत श्रेणियों के मध्य त्रिकूट पर्वत पर स्थित है. यह मां भवानी के 51 शक्तिपीठों में से एक है. ऐसी मान्यता है कि मां शारदा की प्रथम पूजा आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी. मैहर पर्वत का नाम प्राचीन धर्म ग्रंथों में मिलता है. इसका उल्लेख भारत के अन्य पर्वतों के साथ पुराणों में भी आया है. मां शारदा देवी के दर्शन के लिए 1063 सीढ़िया चढ़कर माता के भक्तों मां के दर्शन करने जाते हैं. यहां पर प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी दर्शन करने आते हैं .
मैहर नाम कैसे पड़ा
मैहर स्थित मां शारदा देवी का भव्य मंदिर है जो 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी, लेकिन उनकी इच्छा राजा दक्ष को मंजूर नहीं थी, फिर भी माता सती अपनी जीद पर भगवान शिव से विवाह कर लिया, एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया उस यज्ञ में ब्रह्मा विष्णु ईंद्र और अन्य देवी देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन यज्ञ में भगवान शंकर को नहीं बुलाया, यज्ञ स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित ना करने का कारण पूछा, इस पर राजा दक्ष ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे, अपमान से दुखी होकर माता सती ने यज्ञ अग्नि कुंड में कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी, भगवान शंकर को जब इस बारे में पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया, ब्रह्मांड की भलाई के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 52 भागों में विभाजित कर दिया, जहां भी सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ, ऐसा माना जाता है कि यहां पर भी माता सती का हार गिरा था, जिसकी वजह से मैहर का नाम पहले मां का हार अर्थात माई का हार गिरने से माईहार हो गया जो अप्रभंश होकर मैहर नाम पड़ गया, इसीलिए 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मैहर माँ शारदा देवी के मंदिर को माना गया है .