सागर। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने कई तरह के व्यावसाय की कमर तोड़ दी है. कई लोग बेरोजगार (Unemployment in sagar) हो गए और कई लोगों को अपने कामकाज को छोड़कर नए रोजगार में संभावना तलाशनी पड़ीं. ऐसे ही सागर जिले के आदिवासी विकासखंड केसली के युवा अनिरूद्ध सिंह (Farmer Anirudh Singh) मालवा अंचल में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग संचालित करते थे. कोरोना काल में उनका कोचिंग व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ, लेकिन अनिरुद्ध ने हिम्मत नहीं हारी और स्ट्रॉबेरी की खेती कर लोगों के लिए मिसाल बन गए.
कोरोना ने छीना रोजगार तो जागी नई उम्मीद
केसली निवासी अनिरुद्ध सिंह सागर विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट हैं. पिछले कई वर्षों से मालवा अंचल में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग का सफल संचालन कर रहे थे. कोरोना में उनका व्यवसाय ठप हो गया. इस आपदा को उन्होंने अवसर में बनाया. उन्होंने केसली में अपने फार्महाउस पर ठंडे इलाकों की फसल स्ट्रॉबेरी (Strawberry Farming) उगाने का फैसला किया. शुरुआत में उनकी कोशिश का मजाक उड़ाया गया और परिजनों ने भी स्ट्रॉबेरी उगाने की कोशिश को बेतुका बताया.
जब उनकी मेहनत खेतों में स्ट्रॉबेरी की लाली के साथ रंगत बिखेरती नजर आई, तो बुंदेलखंड के किसानों का नगदी फसल के रूप में एक नई फसल से परिचय हुआ. अनिरुद्ध सिंह उन युवाओं के लिए भी मिसाल बने, जो खेती से कतराते हैं. एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर उन्होंने करीब 8 लाख की कमाई की. आज अनिरुद्ध सिंह बुंदेलखंड (Bundelkhand) के सफल किसान के तौर पर जाने जाते हैं.
उद्यानिकी विभाग किसानों को देगा प्रोत्साहन
सागर उद्यानिकी विभाग (Horticulture Department) के वरिष्ठ अधिकारी आरडी चौबे बताते हैं कि हमारे सागर का वातावरण और जलवायु ऐसा है कि इसमें स्ट्रॉबेरी के उत्पादन की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं. केसली के किसान के सफल प्रयोग के बाद हमनें उद्यानिकी संचालनालय से स्ट्रॉबेरी के उत्पादन (Strawberries product) के प्रोजेक्ट की मांग की थी. संचालनालय ने हमें 1.900 हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी के उत्पादन का लक्ष्य दिया है.
एक हेक्टेयर पर किसानों को मिलेगी सब्सिडी
एक किसान 4 हेक्टेयर तक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर सकता है. जिसमें लागत 2 लाख 80 हजार तक आती है. इकाई लागत का 40% मतलब एक हेक्टेयर पर लगभग 1 लाख 12 हजार की सब्सिडी किसानों को मिलती है.