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A Village An example of prohibition : अवैध शराब बिक्री के गढ़ टीलाखेड़ी में ग्रामीणों ने ऐसे की शराबबंदी, जो बना मिसाल

सागर जिले का टीलाखेड़ी गांव एक समय अवैध शराब बिक्री का गढ़ था. दिन- रात गांव में मजमा लगा रहता था और लड़ाई झगड़े होते थे. महिलाओं और लड़कियों का निकलना दूभर हो गया था. लेकिन अब यहां ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से शराबबंदी का फैसला किया है. यहां पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हों और योग्य प्रत्याशी चुना जाए, इसके लिए गांव के लोगों ने तय किया है कि अगर वोट के लिए कोई प्रत्याशी शराब या किसी तरह का प्रलोभन देगा तो उसका बहिष्कार किया जाएगा. (If liquor distribute candidate boycotted) (Tilakhedi stronghold of illegal liquor sales) (Tilakhedi became an example of prohibition)

A Village An example of prohibition
ग्रामीणों ने ठानी और कर दी शराबबंदी

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Published : Jun 13, 2022, 3:59 PM IST

सागर। जिला मुख्यालय सागर के अंतर्गत आने वाला टीलाखेड़ी गांव एक समय अवैध शराब बिक्री के लिए कुख्यात था. आलम ये था कि गांव के लोग छोड़िए आसपास के गांवों और दूसरे जिलों तक के लोग शराब खरीदने के लिए टीलाखेड़ी में डेरा डाले रहते थे. गांव के लोग जब परेशान हो गए तो उन्होंने एक समिति गठित कर गांव में सर्वसम्मति से शराबबंदी का फैसला किया. तय किया गया कि गांव का कोई भी व्यक्ति ना तो शराब बेंचेगा और ना ही शराब पिएगा. जो भी ऐसा करेगा, उसे जुर्माना देना होगा और उसे पुलिस के हवाले भी कर देंगे. पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हों और योग्य प्रत्याशी चुना जाए. इसके लिए गांव के लोगों ने तय किया है कि अगर वोट के लिए कोई प्रत्याशी शराब या किसी तरह का प्रलोभन देगा तो उसका बहिष्कार किया जाएगा और अगर प्रत्याशी नशा करेगा, तो उसे एक ग्रामीण वोट नहीं देंगे.

ग्रामीणों ने ठानी और कर दी शराबबंदी
एक समय अवैध शराब का गढ़ था टीलाखेड़ी : टीला खेड़ी गांव की पहचान कुछ दिनों पहले तक अवैध शराब बिक्री वाले गांव के रूप में होती थी। गांव के ही कुछ लोग बड़े पैमाने पर अवैध शराब की बिक्री के धंधे में लिप्त थे. धीरे-धीरे करके गांव पूरे जिले में बदनाम हो गया. हालात ये हो गई कि गांव में दूर-दूर के लोग शराब लेने पहुंचने लगे और लोगों का मजमा जुटने लगा. शराब के नशे में धुत लोग गांव की महिलाओं और बेटियों से छेड़खानी करने लगे. शराब पीकर वाहन चलाने वाले दुर्घटनाओं को अंजाम देने में लगे और रोजाना झगड़े होने लगे. लॉकडाउन में अवैध शराब के लिए कुख्यात था : कोरोना के कारण जब लॉकडाउन लगाया गया तो टीला खेड़ी गांव में शराब के लिए मजमा जुटने लगा. आसपास के गांव के ही नहीं, दूसरी जिलों के लोग भी टीला खेड़ी गांव में शराब लेने पहुंचने लगे. जब गांव के लोग कोरोना के डर से अपने घरों में रहते थे तो गांव में शराबियों का हुड़दंग होता था. अवैध शराब की बिक्री की सूचना मिलते पुलिस भी आए दिन छापामारी करती र निर्दोष लोगों को भी परेशान करती थी. एक तरह से टीला खेड़ी गांव की पहचान अवैध शराब के लिए बन गई थी. कहीं भी टीला खेड़ी गांव की चर्चा होती थी तो ये बात जरूर सामने आती थी कि गांव में बड़े पैमाने पर अवैध शराब बिकती है।
ग्रामीणों ने ठानी और कर दी शराबबंदी
ग्रामीणों ने एकजुट होकर लागू कर दी शराब बंदी : अवैध शराब की बिक्री के कारण गांव के लोग दिन-रात परेशान रहने लगे और उनका जीना दूभर हो गया. खासकर महिलाओं ने एतराज जताया तो गांव के बुजुर्ग लोगों ने एक समिति का गठन किया. गांव के बजरंगबली के मंदिर पर समिति की बैठक बुलाई गई. इसमें गांव के सभी बुजुर्ग और युवा लोग शामिल हुए। सर्वसम्मति से तय किया गया कि गांव में शराब बंदी लागू की जाएगी। ना तो गांव में कोई शराब पिएगा और ना ही गांव में कोई शराब बेचेगा। जो भी ऐसा करते हुए पकड़ा जाएगा, उसे 1100 रूपए जुर्माना देना होगा और पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीणों ने मांसाहार बिक्री और दूसरी नशीली वस्तुओं की बिक्री पर भी रोक लगा दी। गांव के अवैध शराब बेचने वाले लोगों को सभी ग्रामीणों ने मिलकर समझाया,तो उन्होंने अवैध शराब का अड्डा बंद कर दिया।
ग्रामीणों ने ठानी और कर दी शराबबंदी
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ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव के लिए बनाई गाइडलाइन :पंचायत चुनाव का प्रचार प्रसार चरम पर है। प्रत्याशी वोट के लिए जनसंपर्क कर रहे हैं। ऐसे में टीलाखेड़ी गांव के लोगों ने पंचायत चुनाव के लिए भी एक गाइडलाइन बनाई है। गांव के लोगों ने तय किया है कि पंचायत चुनाव का कोई भी प्रत्याशी वोट के लिए शराब बांटने का काम करता है या दूसरा प्रलोभन देता है, तो उस प्रत्याशी का बहिष्कार किया जाएगा। वही गांव के लोगों ने तय किया है कि प्रत्याशियों के आचरण के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी और जो प्रत्याशी नशा करता होगा, उसको गांव के लोग वोट नहीं देंगे।

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