सागर।संत रविदास मंदिर की ओट में मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में दलित वोटों को साधने की कोशिश में बीजेपी है. मध्यप्रदेश के 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा को दलित सीटों पर कांग्रेस के मुकाबले कम सीटें मिली थीं. जबकि 2013 में भाजपा ने दलित सीटों पर बड़ी जीत हासिल की थी. संत रविदास मंदिर दलित वोट बैंक के उन अनुयायियों को साधने की कोशिश है, जो रविदास पंथ के अनुयायी हैं. वहीं, दूसरी ओर रविदास मंदिर को लेकर सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं. क्योंकि दलित संत और महापुरुषों के लिहाज से मध्यप्रदेश की पहचान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि के रूप में है. इंदौर के महू में उनका जन्म हुआ था, लेकिन अंबेडकर के अनुयायियों का झुकाव ज्यादातर बौद्ध धर्म की तरफ हो रहा है.
अहिरवार और जाटव समाज पर नजर :मध्य प्रदेश में दलितों की 41 जातियों में से सबसे ज्यादा अहिरवार और जाटव समाज है, जो संत रविदास का अनुयायी है. मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड और चंबल में अहिरवार और जाटव समाज सबसे ज्यादा हैं. इसके अलावा उज्जैन और मालवा में भी कुछ इलाकों में संत रविदास के अनुयायी काफी संख्या में हैं. रविदासिया, रविदास और रैदास पंथ के नाम से जाने जाने वाले इस पंथ के अनुयायी मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, पंजाब, यूपी और पश्चिम बंगाल में हैं.
संत रविदास मंदिर सागर में ही क्यों :सवाल ये है कि सागर में रविदास मंदिर क्यों बनाया जा रहा है. दरअसल, सागर-कानपुर मार्ग पर एक कस्बा कर्रापुर है. संत रविदास बनारस से चित्तौड़गढ़ के लिए निकले थे, तब करीब साढ़े छह सौ साल पहले संत रविदास आये थे और उनका दरबार लगा था. जब कर्रापुर का नाम केहरपुर हुआ करता था. तब संत रविदास ने यहां रात्रि विश्राम भी किया था. संत रविदास जहां रुके थे, वहां एक डेरा (आश्रम) स्थापित है. जहां देश भर के संत रविदास अनुयायी पहुंचते हैं.
चुनावों के मद्देनजर सारी मशक्कत :भाजपा भले ही इस कार्यक्रम को सामाजिक समरसता से जोड़कर पेश कर रही है. लेकिन पूरी कवायद कांग्रेस और बसपा का वोट बैंक माने जाने वाले दलित समुदाय के अहिरवार और जाटव मतदाताओं को भाजपा की तरफ लाने की की है. मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड में अहिरवार और ग्वालियर चंबल में जाटव मतदाता काफी संख्या में हैं. कई सीटों पर हार जीत का फैसला दलित वोट बैंक के रूख को देखकर होता है. इसलिए भाजपा संत रविदास के जरिए दलित वोट को साधने की कवायद शुरू की है. मध्यप्रदेश में 35 सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. अनुसूचित जाति वर्ग में 41 उपजातियां हैं, लेकिन बुंदेलखंड में अहिरवार और ग्वालियर चंबल का जाटव वोट बैंक भाजपा से जमकर नाराज हैं.