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MP Election 2023: चुनाव के पहले बुंदेलखंड में भाजपा में बड़ी बगावत, दिग्गजों की सीटों पर होगी मुश्किल..

एमपी विधानसभा चुनाव 2023 से पहले बुंदेलखंड बीजेपी में बगावत के सुर फूट पड़े हैं, फिलहाल इससे दिग्गजों की सीटों पर मुश्किल होगी. आइए समझते हैं कैसे

MP Election 2023
बीजेपी में फूटे बगावत के सुर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 12, 2023, 7:51 AM IST

Updated : Oct 12, 2023, 8:24 AM IST

चुनाव के पहले बुंदेलखंड में भाजपा में बड़ी बगावत

सागर। भाजपा की चौथी सूची आने के बाद बुंदेलखंड में बगावत के हालात बढ गए हैं, खासकर दिग्गज मंत्रियों वाले सागर जिले में ऐसी बगावत देखने मिल रही है कि मंत्रियों को भी अपनी सीट बचाने में पसीना आ जाएगा. सबसे बड़ी बगावत पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव की देखने मिल रही है, जो अपने बेटे सुधीर यादव को टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं. खास बात ये है कि लक्ष्मी नारायण यादव समाज के बड़े नेता हैं और उनकी नाराजगी से चार विधानसभा सीटों पर असर देखने मिलेगा. पिछले साल नगरीय निकाय चुनाव के समय कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके अरुणोदय चौबे की घर वापसी के समय भाजपा के पूर्व विधायक नारायण कबीरपंथी की कमलनाथ की बंगले पर मौजूदगी भी भाजपा को नुकसान के संकेत दे रही है. नारायण कबीर पंथी समाज के बड़े नेता है, इसके अलावा जो पितामह के जमाने से आरएसएस और बीजेपी की हर संभव मदद करते आ रहे पूर्व मंत्री स्व. हरनाम सिंह राठौर के बेटे कुलदीप सिंह राठौर भी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. कुल मिलाकर भाजपा का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में पार्टी बड़ी मुसीबत में आ गई है.

लक्ष्मीनारायण यादव नाराज तो समाज नाराज:सागर के पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव की बात करें, तो इनकी गिनती यादव समाज के दिग्गज नेताओं में होती है और समाज के बलबूते पर ही वह अपनी राजनीति करते आए हैं. वह सागर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद रहे हैं, उनके बेटे सुधीर यादव बंडा विधानसभा से भाजपा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन टिकट न मिलने से नाराज हो गए हैं और यादव समाज की मीटिंग बुलाकर बगावत का ऐलान कर दिया. लक्ष्मीनारायण यादव ने कहा कि "भाजपा हाईकमान इस समय विचित्र स्थिति में है, वह अंधा, बहरा और पूरा तानाशाह है. मैं, अब भाजपा का कोई काम नहीं करूंगा. भले ही क्षेत्र में नहीं जाऊं, लेकिन मतदाता को भाजपा के खिलाफ चिट्ठिया लिखूंगा. फिर भले ही कांग्रेस को फायदा हो जाए."

उन्होंने आगे कहा कि "सुधीर को चुनाव लड़ना है या नहीं, ये फैसला उन्हें करना है. अगर मैं इस स्थिति में होता, तो जरूर चुनाव लड़ता. मैं ऐसे पहले करता भी रहा हूं. वर्ष 2008 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, तब मैंने बगावत की थी." वहीं सुधीर यादव का कहना है कि "मैं एक राजनीतिक परिवार से जुड़ा हूं, हर निर्णय कार्यकर्ताओं से मिलकर लेता हूं. मुझसे मिलने सागर, नरयावली और सुरखी के लोग आए हैं."

गौरतलब है कि सागर जिले में ही करीब 2 लाख से ज्यादा यादव मतदाता है, जो विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा पूरे बुंदेलखंड में यादव मतदाता में बड़ी संख्या में है, सागर जिले में यादवों की नाराजगी से बंडा, खुरई, सुरखी और नरयावली विधानसभा सीटो पर भाजपा को नुकसान होगा, क्योंकि यहां पर पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव का यादव समाज में अच्छा प्रभाव है.

पूर्व विधायक नारायण कबीरपंथी दिखे कमलनाथ के बंगले पर:दूसरी तरफ मंगलवार रात जब कांग्रेस के अरुणोदय चौबे भोपाल में कमलनाथ के बंगले पर वापसी कर रहे थे, जो मंत्री भूपेंद्र सिंह के लिए खुरई से चुनौती देंगे. तब उनके साथ तस्वीरों में एक और चेहरा नजर आ रहा था, जो सागर में भाजपा के लिए नुकसान पहुंचा सकता है. दरअसल नरयावली से विधायक रहे अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नारायण कबीर पंथी टिकट मांग रहे थे, लेकिन टिकट ना मिलने के वे बगावत के मूड में आ गए. ETV भारत से बातचीत में नारायण कबीरपंथी ने कहा कि "मैं कोरी समाज का नेता हूं और समाज से जुड़े लोग मुझे कमलनाथ जी से मिलने लेकर गए थे. फिलहाल मैंने कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन सामाजिक स्तर पर यूपी और एमपी चुनाव में कबीर पंथी मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लाने का काम किया है, अब भाजपा की रीति नीति में बदलाव देखने मिल रहा है, सब कुछ पैसा हो गया है."

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पूर्व मंत्री के परिवार में भी कांग्रेस की सेंधमारी:बुंदेलखंड में आरएसएस और भाजपा को मजबूत करने में सबसे बड़ा नाम बीड़ी उद्योगपति स्व. हरनाम सिंह राठौर के परिवार का आता है.आरएसएस और भाजपा को मजबूत करने में इस परिवार ने तन मन धन समर्पित किया है, लेकिन हरनाम सिंह राठौर के निधन के बाद उनके परिवार की भाजपा में चर्चा कम हो गई. उनके बेटे हरवंश सिंह राठौर भाजपा से विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसी बात की नाराजगी के चलते उनके छोटे बेटे कुलदीप सिंह राठौर के भाजपा में जाने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं, वैसे भी कुलदीप सिंह कांग्रेस विधायक संजय शर्मा के व्यावसायिक साझेदार भी है और राजनीति की जगह व्यवसाय को ज्यादा महत्व देते हैं. राठौर परिवार का बीड़ी व्यवसाय के जरिए बंडा और खुरई विधानसभा में काफी प्रभाव है, अगर राठौर परिवार कांग्रेस के साथ खड़ा होता है तो भाजपा को बंडा और खुरई जीतने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.

मंत्री गोविंद राजपूत, भूपेंद्र सिंह और प्रदीप लारिया को नुकसान:सागर जिले में भाजपा में बगावत के आसार बने हैं, उससे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह को नुकसान के आसार दिख रहे हैं. जिले की आठ विधानसभाओं में बंडा, खुरई, सुरखी और नरयावली में भाजपा को यादवों की नाराजगी से नुकसान हो सकता है, सुरखी से मंत्री गोविंद सिंह राजपूत तो खुरई से नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह विधायक हैं. इसके अलावा बंडा और नरयावली विधानसभा में भी यादव मतदाता निर्णय प्रभावित करने वाली संख्या में है. दूसरी तरफ नारायण कबीरपंथी की नाराजगी से पूरे प्रदेश में कबीरपंथी समाज पर असर पड़ेगा, क्योंकि नारायण कबीर पंथी सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के इलाके में भी कबीर पंथी वोटो में प्रभाव रखते हैं.

Last Updated : Oct 12, 2023, 8:24 AM IST

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