सागर।2003 से लेकर अब तक भाजपा की सरकारों में बुंदेलखंड का दबदबा कायम रहता था. 2003 से लेकर अब तक जितने मुख्यमंत्री रहे, चाहे उमा भारती, बाबूलाल गौर या फिर शिवराज सिंह की सरकार हो, हर सरकार में बुंदेलखंड के नेताओं को मंत्री बनने का मौका मिला. खासकर सागर जिले से 2003 से लेकर लगातार मंत्री रहे और पिछली शिवराज सरकार में तीन-तीन कद्दावर नेता मंत्री थे, लेकिन आज गठित मुख्यमंत्री मोहन यादव के मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड को निराशा हाथ लगी. जबकि बुंदेलखंड की 26 सीटों में से 21 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है.
मोहन यादव मंत्रिमंडल में गोपाल भार्गव,जयंत मलैया,भूपेंद्र सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह, ललिता यादव और हरिशंकर खटीक जैसे वरिष्ठ विधायकों को जगह नहीं मिल सकी. बुंदेलखंड के 6 जिलों से सिर्फ चार मंत्री बनाए गए हैं. जिनमें तीन जिलों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. चार मंत्रियों में एक कैबिनेट मंत्री, दो राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और एक राज्य मंत्री बनाए गए हैं. सागर, दमोह और छतरपुर के अलावा मंत्रिमंडल में अन्य तीन जिले पन्ना, टीकमगढ़ और निवाड़ी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.
पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों को नहीं मिली जगह:मुख्यमंत्री मोहन यादव के मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड से काफी तगड़ी दावेदारी थी. बुंदेलखंड से भाजपा के 21 विधायक जीत कर आए थे. जिनमें सागर से ही मंत्री पद के पांच दावेदार थे. सागर की 8 विधानसभाओं में से भाजपा के साथ विधायकों में से गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, शैलेंद्र जैन और प्रदीप लारिया मंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन सागर को सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री का पद हासिल हुआ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी गोविंद सिंह राजपूत कैबिनेट मंत्री बने हैं. जबकि गोपाल भार्गव भूपेंद्र सिंह शैलेंद्र जैन और प्रदीप लारिया को इंतजार करना होगा.
दमोह को मिले दो राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार: देखा जाए तो सागर की अपेक्षा दमोह मंत्री मंडल में जगह बनाने में ज्यादा कामयाब रहा है. भले ही यहां के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री जयंत मलैया को मंत्री पद में जगह नहीं मिली हो, लेकिन एक जिले से दो स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री बनाए गए हैं. दमोह में भाजपा ने चार में से चारों सीट जीती है. यहां पथरिया से विधायक लखन पटेल को राज्य मंत्री स्वतंत्रता और जबरा विधायक धर्मेंद्र लोधी को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है. हटा से लगातार तीसरी बार चुनाव जीती अनुसूचित जाति वर्ग की उमा देवी खटीक प्रबल दावेदार थीं, लेकिन जातिगत समीकरणों में जगह नहीं बना पाए.