बुंदेलखंड में दिग्गजों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना ये चुनाव, इन नेताओं की बढ़ी धड़कने
एमपी के चुनाव में चंबल-अंचल की तरह ही बुंदेलखंड में भी कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है. भाजपा से उमा भारती, जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, सहित कई लोगों का भविष्य दांव पर है.
सागर।मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड एक ऐसे इलाके के तौर पर देखा जा रहा है. जो मध्यप्रदेश की सत्ता तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा. बुंदेलखंड की 26 सीटों पर कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है. भाजपा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का भविष्य 17 नवंबर को ईवीएम में दर्ज हो जाएगा. अगर दिग्गजों की बात करें तो भाजपा से उमा भारती, जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, ललिता यादव, हरिशंकर खटीक के नाम प्रमुख है.
वहीं कांग्रेस से पूर्व मंत्री हर्ष यादव, मुकेश नायक, यादवेन्द्र सिंह और नितेन्द्र सिंह राठौर जैसे नाम है. वहीं देखा जाए तो इस इलाके से यूपी के बुंदेलखंड की सीमा लगे होने के कारण मायावती और अखिलेश यादव ने भी कई सीटों पर पूरी ताकत लगाई है. खासकर अखिलेश यादव ने कांग्रेस से खटास के बाद जिस तरह से आक्रमक प्रचार किया है. उनकी साख भी एमपी विधानसभा चुनाव में दांव पर है.
उमा भारती
बुंदेलखंड में उमाभारती, मायावती और अखिलेश की साख भी दांव पर:एमपी विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड में भाजपा नेता उमा भारती की साख दांव पर है. हालांकि पार्टी ने इस चुनाव में एक तरह से उन्हें हाशिए पर रखा, लेकिन उनके भतीजे राहुल सिंह लोधी और लोधी बाहुल्य कई सीटों पर बीजेपी ने लोधी उम्मीदवार मैदान में उतारा है. ऐसे में अपने भतीजे की टीकमगढ़ की खरगापुर विधानसभा के साथ, सागर की बंडा, दमोह की दमोह,पथरिया और जबेरा, छतरपुर की बडा मलहरा, पन्ना की पवई और टीकमगढ़ की टीकमगढ़ सीट भी उमाभारती जनाधार वाले लोधी बाहुल्य मतदाताओं की सीटें है.
यहां अगर भाजपा का प्रदर्शन बिगड़ता है, तो उमा भारती की नाराजगी या उदासीनता बड़ी वजह होगी. वहीं अगर उमा भारती आगामी लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका में रहना चाहती है, तो इन सीटों के हारने पर उन्हें दिक्कत हो सकती है. हालांकि कांग्रेस ने लोधी बाहुल्य सीटों पर लोधी उम्मीदवार उतारकर भाजपा को जमकर घेर लिया है.
भूपेंद्र सिंह बीजेपी प्रत्याशी
अखिलेश यादव और मायावती भी साख दाव पर: एमपी विधानसभा चुनाव में यूपी के दिग्गज नेता अखिलेश यादव और मायावती की साख दांव पर होने पर थोडा अचरज हो सकता है, लेकिन हकीकत यही है क्योंकि अखिलेश यादव ने जिस तरह से कांग्रेस से गठबंधन की बात बिगडने के बाद यूपी से लगे बुंदेलखंड इलाके में अपने प्रत्याशी उतारे और आक्रमक प्रचार किया. उन्होंने भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस को भी आडे़ हाथों लिया. निवाड़ी जिले में तो उनकी पत्नी डिंपल यादव ने बाकायदा रोड शो किया. अखिलेश यादव ने एक तरह से एमपी चुनाव को चुनौती के तौर पर लिया.
ऐसे में उनके खडे किए करीब 61 प्रत्याशियों में से अगर ज्यादातर प्रत्याशी हार जाते हैं, तो अखिलेश यादव के लिए बडा झटका होगा. वहीं दूसरी तरफ मायावती पिछले कई चुनावों से बुंदेलखंड के सहारे मध्यप्रदेश में अपना जनाधार पेश कर चुकी है. एक समय तो ऐसा था कि एमपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी के 12 विधायक सदन पहुंचे थे. इस चुनाव में भी मायावती ने कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और खुद उनके प्रचार के लिए पहुंची.
अखिलेश यादव पूर्व सीएम यूपी
शिवराज सरकार के दिग्गज मंत्रियों की साख दांव पर: बुंदेलखंड के भाजपाई दिग्गजों की बात करें तो दमोह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे जयंत मलैया की साख दांव पर है. 2018 चुनाव में कांग्रेस से चुनाव हारने के बाद 77 साल की उम्र में जयंत मलैया एक बार फिर चुनाव मैदान में है और उन्हें कांग्रेस से तगड़ी चुनौती मिल रही है. दूसरी तरफ सागर की रहली विधानसभा से गोपाल भार्गव 9वीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि इस बार वो अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन पार्टी को कांग्रेस की तगड़ी चुनौती के चलते हाइकमान ने उन्हें 9 वीं बार चुनाव लड़ने कहा.
वहीं शिवराज सिंह के करीबी मंत्री भूपेन्द्र सिंह, जो कांग्रेस के निशाने पर है. उनके लिए भी कांग्रेस ने युवा महिला प्रत्याशी उतारकर तगड़ी चुनौती पेश की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को कांग्रेस ने भाजपा नेता के जरिए ऐसा घेरा है कि गोविंद सिंह को चुनाव में दिन रात मेहनत करनी पड़ रही है. उधर पन्ना से मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और छतरपुर में पूर्व मंत्री ललिता यादव की साख दांव पर है, तो टीकमगढ़ की जतारा सीट से पूर्व मंत्री हरिशंकर खटीक को तगड़ी चुनौती मिल रही है.
कांग्रेस के दिग्गजों की साख दाव पर:जहां तक कांग्रेस के दिग्गजों की बात करें तो सागर जिले से कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हर्ष यादव को घेरने के लिए भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व विधायक को मैदान में उतारा है. स्थानीय स्तर पर दबंगई की छवि रखने वाले भाजपा प्रत्याशी बृजबिहारी पटैरिया से चुनौती मिल रही है. दूसरी तरफ पूर्व मंत्री मुकेश नायक को पन्ना की पवई विधानसभा से फिर टिकट मिला है, 2018 में वो चुनाव हार गए थे. इसके अलावा टीकमगढ़ से कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री यादवेन्द्र सिंह को भाजपा से तगड़ी चुनौती मिल रही है. भाजपा के राकेश गिरी ने चुनाव जीतने के बाद एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. हालांकि भाजपा के बागी केके श्रीवास्तव यादवेन्द्र सिंह को मददगार हो सकते हैं. दूसरी तरफ पूर्व मंत्री स्वर्गीय बृजेन्द्र सिंह राठौर के बेटे नितेन्द्र सिंह राठौर जो पिता के निधन के बाद उपचुनाव में हार गए थे. इस बार फिर मैदान में हैं.