रीवा।जिले में गर्मी का मौसम आते ही पानी का संकट गहराने लगा है. जलसंकट से जूझ रहे किसानों ने अपना विरोध जताया. किसानों का कहना है कि, अगर पानी नहीं तो वोट नही. दरअसल, 855 करोड़ रुपये के माइक्रो इरिगेशन सूक्ष्म दबाब योजना में लेट-लतीफी को लेकर किसान नाराज थे. क्षेत्रीय विधायकों और सांसद को जानकारी देने के बाद भी अब तक उन्हें इस समस्या से निजात नहीं मिली है. किसानों का कहना है कि, वर्ष 2013-14 में नहर परियोजना का क्रियान्वयन न होने से जल संकट से प्रभावित होना पड़ रहा है.
किसानों ने किया प्रदर्शन:किसानों की मानें तो जिले में सूखे जैसे हालात बन गए हैं. यह मौजूदा वर्ष के हालात नहीं हर साल गर्मी के दिनों में आम जनता बूंद-बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. कहने के लिए तो जल जीवन मिशन से लेकर विधायक और सांसद निधियों के नलकूप, अमृत सरोवर, पुराने जल स्रोतों का गहरीकरण से लेकर कूप निर्माण और फिर बाणसागर के नाम पर कई सिंचाई परियोजनाएं आईं और गईं, लेकिन हालात यह हैं कि आम जनता और किसानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
किसानों ने सूखी नहर में किया भ्रमण:रीवा जिले के सिरमौर तहसील अंतर्गत लालगांव सर्किल के आसपास सिसवा टेहरा और लालगांव के कई किसानों ने नवनिर्मित वेयर हाउस के पास सूखी पड़ी टेहरा-सिसवा की तरफ जाने वाली नहर के बीचों बीच पैदल मार्च कर प्रदर्शन किया. सैकड़ों किसानों ने सीधे सरकार पर आरोप लगाया की सरकार किसानों को ठगने का काम कर रही है. किसानों को मात्र वोट बैंक की राजनीति तक ही सीमित रखा है.