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Rewa Sunderja Mango: रीवा के सुंदरजा आम को मिला GI टैग, डाक टिकट भी हो चुका है जारी, जानें खासियत - रीवा सुंदरजा आम को मिला जीआई टैग

एमपी के मुरैना में बनने वाली गजक और विंध्य को पहचान दिलाने वाले रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग मिला है. ये आम इतना खास है कि सरकार ने बकायदा एक डाक टिकट जारी किया था. तो आप इससे ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी मिठास और उसकी सुंदरता के क्या मायने होंगे. जी हां आज हम आपको एक ऐसे आम के बारे में बताने जा रहे हैं जो आमो का राजा भी कहलाता है.

rewa sunderja mango got gi tag
रीवा के सुंदरजा आम

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Published : Mar 27, 2023, 8:25 PM IST

Updated : Mar 27, 2023, 8:45 PM IST

रीवा के सुंदरजा आम

रीवा। जिले के गोविंदगढ़ के बगीचों में मिलने वाले सुंदरजा आम को जीआई टैग मिल गया है. इसके साथ ही मुरैना में बनने वाली गजक को भी GI टैग दिया गया है. जिले के गोविंदगढ़ और कुठूलिया में प्रदेश का सबसे बड़ा आम अनुसंधान केंद्र स्थापित है. इस अनुसंधान केंद्र के बगीचे में करीब 150 प्रजाती के आम के पेड़ मौजूद है. इन आमों के बीच यहां एक ऐसे आम की उपज होती है जो देश के अलावा विदेशों में भी मशहूर है जिसका नाम सुंदरजा है. वैसे तो फलो का राजा आम होता है लेकिन यहां आमों का राजा सुंदरजा आम है. इतना ही नहीं इस आम में शुगर की मात्रा कम होने के कारण इसका स्वाद मधुमेह के मरीज भी चख सकते है. जीआई टैग मिलने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल व CM शिवराज ने भी ट्वीट करके सराहना की है.

इसलिए आम है खास: मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली आम की करीब 213 प्रजातियों में से सबसे प्रमुख सुंदरजा आम की है. यह मुख्यता रीवा जिले के गोविंदगढ़ की देन है जो अब देश की कुछ ही नर्सरियों में पाया जाता है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, पाकिस्तान, इंग्लैंड और अमेरिका सहित अरब देशों में सुंदरजा अपनी खासियत के चलते आम प्रेमियों को लुभाता है. इसकी खासियत है कि सुंदरजा में सेंट जैसी खुशबू होती है और जैसा इसका नाम है देखने में भी उसी तरह सुंदर दिखाई देता है. इस सुंदरजा आम की खुशबू ऐसी है कि इसे आंख मूंदकर भी पहचाना जा सकता है. जिसके चलते लोग सुंदरजा आम को बेहद पसंद करते हैं. इस आम की खासियत इतनी है कि वर्ष 1968 में बाकायदा भारत सरकार की ओर से सुंदरजा आम के नाम से 50 पैसे वाला एक डाक टिकट भी जारी किया गया था.

रीवा के कुठूलिया अनुसंधान केंद्र में स्थित बगीचे के बागवान संजय केवट का कहना है कि यह अनुसंधान केंद्र एग्रीकल्चर कालेज का है. इस अनुसंधान केंद्र में तकरीबन 150 आमों की प्रजातियां मौजूद है. बागवान संजय केवट का कहना है कि इस बगीचे में सबसे अच्छी प्रजाती सुंदरजा आम की है. इस आम का उत्पादन भी काफी मात्रा में होता है. सुंदरजा के एक छोटे से पेड़ में 100 से 125 किलो की पैदावार होती है और एक आम का वजन कम से कम 200 से 500 ग्राम होता है.

रीवा का सुंदरजा आम

मधुमेह रोगी भी चख सकते हैं स्वाद: कुठूलिया आम अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ बताते है की इस बगीचे में सैकड़ो आम की प्रजातियां है. लेकिन एक खास आम सुंदरजा है जिसका स्वाद मधुमेह के मरीज भी चख सकते है. इनके अलावा लंगड़ा, दशहरी, हाथी झूल, जर्दालु, अमरपाली, मल्लिका, बेंगलुरु, बॉम्बे ग्रीन और चौसा जैसे खास किस्म की 150 प्रजातियों के आम यहां पाए जाते है. लेकिन इन सभी आमो में मिठास की मात्रा काफी ज्यादा होती है. वहीं सुदंरजा आम की बात की जाए तो इसमें शुगर की मात्रा मात्र 5 प्रतिशत ही पाई जाती है.

सुंदरजा आम के लिए डाक टिकट

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बधाइयों का तांता: सुंदरजा आम को GI की टैगिंग प्राप्त होने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बधाई दी है. केंद्रीय मंत्री साथ ही पीयूष गोयल और CM शिवराज ने भी इस आम की काफी प्रशंसा की है. ट्वीट करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लिखा की "इनके स्वाद के चर्चे होंगे अब आम, GI टैग से बढ़ेगा इनका देश विदेश में नाम." सीएम शिवराज ने ट्वीट करते हुए लिखा कि " यह हर्ष का विषय है कि हमारे रीवा के सुंदरजा आम व मुरैना की गजक को GI टैग के माध्यम से वैश्विक पहचान मिली है. इस गौरवपूर्ण सम्मान हेतु रीवा, मुरैना के भाई बहनों व सभी प्रदेशवासियों को बधाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जी को धन्यवाद.

रीवा राजघराने की पसंद रहा है सुंदरजा आम: गोविंदगढ़ के किला परिषर में मौजूद आम का बाग व सुंदरजा के पौधे रीवा राजघराने की देंन है. और यह सुन्दरजा आम रीवा राजघराने की खास पसंद में शामिल रहा है. गोविंदगढ़ की पहचान यूं तो सफेद शेरों से रही है और आज विश्व भर में मौजूद सफेद शेर भी रीवा के इसी गोविंदगढ़ की देन है. सफेद शेरो के बाद अब सुन्दरजा आम भी देश और विश्व के अन्य देशों में मशहूर हो चुका है. डाक टिकट के बाद अब इस सुंदरजा आम को GI की टैगिंग प्राप्त हुई है.

महाराजा मार्तंड सिंह ने कराई थी आम की ब्रीडिंग:कहा जाता है की रीवा रियासत के महाराजा मार्तण्ड सिंह ने गोविंदगढ़ में इस आम की ब्रीड को तैयार करवाया था. और उसी ब्रीड की प्रजाति आज विंध्य सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में फैली हुई है. जिस तरह से लखनऊ में दशहरी आम मशहूर है उसी तरह से रीवा का सुन्दरजा आम भी मशहूर है. पहले लखनऊ से दशहरी रीवा के लिए ट्रांसपोर्ट किया जाता था अब उसी तरह से सुन्दरजा आम लखनऊ के लिए भेजा जाता है. सुन्दरजा आम एक और बड़ी खासियत यह की उसे एक सामान्य वातावरण में कई दिनों तक कमरे के अंदर रखा जा सकता है.

रीवा का सुंदरजा आम

विंध्य को मिलेगी विदेशों में पहचान: कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया की सुंदरजा आम को GI टैग प्राप्त हुआ है. सुंदरजा आम रीवा है नहीं समूचे विंध्य की पहचान है. इस आम की GI टैगिंग से इसके एक्सपोर्ट की संभावनाएं काफी बढ़ चुकी है. हम लोगों के द्वारा जल्द ही नीट के सम्मेलन किये जायेंगे. जिससे इस आम के पैकिजिंग और एक्सपोर्ट को गति मिलेगी. इस आम को जब एक्सपोर्ट की गति मिलेगी तो रीवा की ब्रांडिंग और मार्केटिंग काफी बढ़ जाएगी. आम के अन्य प्रजाति के अलावा फल और सब्जी के किस्म जो तैयार हो रहे हैं. उन सब की भी मार्केडिबलिटी भी देश के भीतर और बाहर की संभावनाएं बढ़ जाएगी. जो उत्पादक और किसान है जो इस फील्ड में काम कर रहे है इससे उनका मुनाफा भी बढ़ जाएगा.

Last Updated : Mar 27, 2023, 8:45 PM IST

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