रीवा। रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रहे लोग सरकार की ओर नियमित किए जाने की आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. पिछले 25 सालों से काम कर रहे लोगों की ओर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. इनके लिए किसी तरह के रोजगार की व्यवस्था की गई और न ही नियमित किया गया, जिसकी वजह से अब वो भूखों मरने को मजबूर हो रहे हैं.
रीवा रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुली को सरकार से ये है आस - mp news
नियमित होने की लालसा लिए हुए आज भी बहुत से लोग रीवा रेलवे स्टेशन पर कुली काम कर रहे हैं. कुली का काम करने वाले इन लोगों को सरकार से उम्मीद है लेकिन सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, ऐसे में उनका परिवार भूखों मरने के लिए मजबूर है.
साल 1993 में जब पहली बार रीवा से भोपाल के लिए रेल सुविधा शुरू की गई, तब रीवा के लोगों की बहुत सी आशाएं थी. रीवा से रेल लाइन की शुरूआत हुई तब अपने खुद के विकास की चिंता करते हुए कुछ लोगों ने यहां पर कुली का काम करना शुरू कर दिया. कुली का काम कर रबहे लोगों को उम्मीद थी कि सरकार उनका ध्यान रखते हुए नियमित कर देगी लेकिन किसी ने उनके विकास की ओर ध्यान नहीं दिया.
कुली का काम करने वाले लोगों से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. उन्होंने बड़ी आशा भरी निगाहों से सरकार के तरफ एक बार फिर उम्मीद का दामन फैलाया है. उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से इस पेशे पर लगे हुए हैं. हर बार चुनाव में उम्मीद की जाती है कि उनके भी लिए कोई सरकार आएगी जो उनके परिवार वालों के लिए चिंता करेगी, लेकिन हालात अब तक वैसे ही हैं. लोगों ने कहा कि कुली के काम में इतनी भी कमाई नहीं होती कि वो अपने परिवार को दो वक्त की रोटी भी खिला सके.