रीवा।कृषि उपज मंडी करहिया में कृषि कानून बिल को लेकर किसानों का अनूठा विरोध सामने आया है. किसान नेता रामजीत सिंह ने धरना स्थल पर ही अपने बेटे के विवाह संस्कार का आयोजन किया. इस विवाह संस्कार में लड़की पक्ष खुद बारात लेकर मंडी स्थित धरना स्थल पहुंचा. जहां पर दोनों ने एक दूसरे को माला पहनाई और अग्नि की जगह सावित्री बाई फुले और संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर सात फेरे लिए और विवाह समारोह संपन्न कराया.
कृषि बिल के विरोध में हुआ अनूठा विवाह
केंद्र सरकार के लागू किए गए कृषि कानून बिल का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर जहां किसान बिल के विरोध में धरने पर बैठे हैं तो वही देशभर में किसानों के इस आंदोलन का समर्थन किया जा रहा है. इसी तारतम्य में रीवा की कृषि उपज मंडी करहिया में भी किसानों का एक बड़ा समूह 75 दिनों से आंदोलनरत है तथा किसानों ने घर वापस ना जाने की कसम खा ली है. जिसके लिए कायदे अब वह अपने-अपने धर्म में किए जा रहे संस्कार को भी धरना स्थल से ही पूरा कर रहा है.
धरना स्थल पर ही वर-वधु ने रचाई शादी सादगी के साथ बिना दहेज के विवाह हुआ सम्पन्न
यही कारण है कि आंदोलनरत नेता रामजीत सिंह ने अपने बेटा सचिन सिंह का विवाह हिंदू रीति रिवाज से धरना स्थल पर ही संपन्न कराया है. रामजीत सिंह की माने तो कृषि कानून बिल का विरोध करते हुए वह घर वापसी नहीं कर सकते हैं. जिसके लिए धरना स्थल पर ही बेटे का विवाह संस्कार पूर्ण कराकर उन्होंने सरकार को अपना संदेश भेजा है कि अब किसान अपने अपने धर्म में किए गए संस्कारों को बगैर घर गए ही धरना स्थल से पूर्ण करेगा.
सावित्री बाई फूले और संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर लिए साथ फेरे
कृषि उपज मंडी करहिया में केंद्र सरकार के द्वारा लागू किए गए कृषि कानून बिल का अनूठा विरोध सामने आया जहां पर बिना बैंड बाजे, बिना किसी साज-सज्जा और धूमध ड़ाके किए हुए एक जोड़े ने अग्नि की जगह संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर और शिक्षा की देवी सावित्रीबाई फुले को साक्षी मानकर विवाह रचाया है.
तिरंगा लेकर विवाह स्थल पहुंचे दूल्हा-दूल्हन
बताया जा रहा है कि रामजीत सिंह के बेटे सचिन सिंह और विष्णु दत्त सिंह की पुत्री आसमा सिंह एक दूसरे से प्रेम करते थे और परिवार की सहमति से दोनों ने काले कृषि कानून बिल का विरोध करते हुए अनूठा विवाह किया है. जिसमें दुल्हन स्वयं बारात लेकर दूल्हे के दरबार पर आई और तिरंगे के साथ संविधान पुस्तिका को साथ में रखकर दोनों ने एक दूजे को माला पहनाई और बाद में अग्नि देवता की जगह सावित्री बाई फूले और संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर को साक्षी मानकर विवाह रचा लिया. वर-वधू को आंदोलनरत किसानों ने आशीर्वाद दिया.